आज काफ़ी दिन के बाद आपसे मुलाक़ात हो पा रही है ,इस बीच दीपावली का पर्व भी आया , और हम सभी ने इसे पूरे उत्साह और हर्ष के साथ मनाया . आज कुछ अवकाश मिला है .
आज आपके लिए ग़ज़ल प्रस्तुत है .आपको ग़ज़ल कैसी लगी ? ,कृपया अपनी मूल्यवान राय देने का कष्ट करें .
ग़ज़ल
मुहब्बत की बारिश में भीगा हुआ हूँ
तेरे बाद भी, तुझमें, डूबा हुआ हूँ
हुआ कैसा जादू, अचानक, ये मुझ पर
तुझे देखते ही मैं तेरा हुआ हूँ
वो इक पल का मिलना ,बिछुड़ना सदा का
ज़रा देख , मैं कितना बिखरा हुआ हूँ
तेरी ख़ुशबू से मैं , महकता हूँ हर पल
तेरा ख़्वाब हूँ, पर , मैं ,टूटा हुआ हूँ
मुलाक़ात जिस मोड़ पर हो गई थी
अभी भी वहीँ पर मैं ठहरा हुआ हूँ
`तुषार` उसका हँसना बहुत याद आये
कोई उससे कह दे मैं उलझा हुआ हूँ
........नित्यानंद `तुषार`
mobile no. 9968046643 (india)
1 comment:
मुलाक़ात जिस मोड़ पर हो गई थी
अभी भी वहीँ पर मैं ठहरा हुआ हूँ
"वाणी" गौरव गोलछा
बहुत ही बढ़िया गज़ल मजा आ गया..
गज़ब की गज़ल है
गज़ल पढ़ के लिखने से डर गया
आपके आगे तो हमारा कोई वजूद ही नहीं है जनाब....
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