ग़ज़ल
मुझे देखा ,मुझे सोचा ,मुझे भूले
मुझे ये बात भी महसूस होती है
हमेशा साथ रहने की क़सम खाई
क़सम तेरी बड़ी महसूस होती है
बदन तेरा है उसमें जान मेरी है
तुझे क्या ये कभी महसूस होती है
तुषार उसको बहुत दिन से नहीं देखा
इन आँखों में नमी महसूस होती है
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