Wednesday, April 13, 2011

युग वंशिका ,


हिंदी की नई साहित्यिक पत्रिका

 - - संपादक -- नित्यानंद `तुषार`

(मर्मस्पर्शी कहानियाँ , सरस कविताएँ , गीत ,ग़ज़ल , लेख आदि )

जुलाई 2011  के प्रथम सप्ताह में बाज़ार में उपलब्ध  होगी , अपनी प्रति के लिए अपने शहर के पत्रिका विक्रेता से संपर्क करें , कोई  कठिनाई होने पर  ghazalmagic@gmail.com          पर  मेल कर  संपर्क करें     

मैं इक प्यासा समंदर हूँ और इक मीठी नदी हो तुम - - नित्यानंद `तुषार`

ये माना  अजनबी हो तुम , मगर   अच्छी लगी हो तुम
तुम्हीं को सोचता हूँ मैं ,     मेरी अब जिंदगी हो   तुम
ख़ुदा    ने    सिर्फ़     मेरे     वास्ते    तुमको    बनाया    है
मैं इक प्यासा समंदर हूँ   और इक मीठी नदी हो तुम - -  नित्यानंद `तुषार`
 
Ye mana ajnabi  ho tum ,magar achhi lagi ho tum
Tumhin ko sochta hoon main, meri ab zindagi ho tum
Khuda ne sirf mere vaaste tumko banaya hai
Main ik pyasa samandar hoon, aur ik meethhi nadi ho tum - - Nityanand `Tushar`

Friday, April 1, 2011

जिनके धंधे काले हैं , उजले चेहरे वाले हैं -- नित्यानंद `तुषार`

जिनके     धंधे    काले  हैं
उजले    चेहरे     वाले   हैं
शे`र    चुराते    हैं      मेरे
ख़ुद  लिखने के लाले हैं -- नित्यानंद `तुषार`