Monday, October 31, 2011

जो दौर था बुरा, वो भी गुज़र गया - -.नित्यानंद तुषार `


प्रतिष्ठित हिन्दी पत्रिका `हँस` के नवम्बर 2011 अंक में
आप हमारी ये ग़ज़ल पूरी पढ़ सकते हैं,
यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी जा रहीं हैं

जो दौर था बुरा, वो भी गुज़र गया
कुछ हादसे हुए , फिर मैं उबर गया

जो सच था वो कहा, तुम क्यूँ खफ़ा हुए
चेहरा बुझा है क्यूँ, पानी उतर गया

इक आदमी हुआ, इस मुल्क़ में `तुषार`
पहुँचा जहाँ न वो, उसका असर गया - - नित्यानंद तुषार `

Sunday, October 2, 2011

हम उन्हें भी चाहते हैं, दुश्मनों को क्या पता - -नित्यानंद `तुषार`



ये सफ़र कितना कठिन है रास्तों को क्या पता,
कैसे -कैसे हम बचे हैं , हादसों को क्या पता,

 आँधियाँ चलतीं हैं तो फिर, सोचतीं कुछ भी नहीं,
टूटते हैं पेड़ कितने ,आँधियों को क्या पता,

एक पल में राख कर दें, वो किसी का आशियाँ,
कैसे घर बनता है यारो ,बिजलियों को क्या पता,

अपनी मर्ज़ी से वो चूमें, अपने मन से छोड़ दें,
किस क़दर बेबस हैं गुल ,ये तितलियों को क्या पता,

आईने ये सोचते हैं ,सच कहा करते हैं वो,
उनके चेहरे पर हैं चेहरे आईनों को क्या पता,

जाने कब देखा था उसको ,आज तक उसके हैं हम,
क़ीमती कितने थे वे पल , उन पलों को क्या पता,

जैसे वो हैं हम तो ऐसे हो नहीं सकते `तुषार`,
हम उन्हें भी चाहते हैं, दुश्मनों को क्या पता - -नित्यानंद `तुषार`

(प्रस्तुति --यश)

Tuesday, September 13, 2011

Er. NITYANAND `TUSHAR`

Nityanand Tushar
 
  For  Kavi sammelan ,Mushayera and Solo Show ( Ekal Kavy Paathh ) of poet, Er.Nityanand `Tushar`
  please contact at ghazalmagic@gmail.com
                            Mobile no.+91 9968046643
 Thanks and Regards.
 Yash
                                           

Wednesday, June 8, 2011

आँखों -आँखों में तू अब प्रेम कहानी लिख दे - - नित्यानंद `तुषार`

आँखों -आँखों में तू अब प्रेम कहानी लिख दे
अपने  होंठों से तू   होंठों  पे निशानी लिख दे
कितनी   रातों को  मैं जागा हूँ तेरी चाहत में
मेरी  क़िस्मत   में कोई  रात  सुहानी लिख दे

कैसी ख़ुशबू  है `तुषार` उसमें कशिश कितनी है 
कोई   देखे  जो  उसे,  रात की  रानी लिख दे  - - नित्यानंद `तुषार`
 yash

Tuesday, May 31, 2011

Nityanand Tushar on DD1 in Kavita Samay( DELHI DOORDARSHAN )

http://www.youtube.com/watch?v=xSSIHIpLLeE
This video was uploaded by gosthi ,here i have added for you,please feel free ,share,and forward it to other poetry lovers.Thanks
yash

Saturday, May 21, 2011

ये साहित्यिक चोरी में लिप्त हैं- - नित्यानंद `तुषार`

 iit spring fest 2011 में,तथा कुछ और जगह  हमारी रचना मेरा अपना तजुर्बा है को अपनी नई रचना बताते हुए कुमार विश्वास (डाक्टर कुमार विश्वास )ने श्रोताओं को सुनाया है,इसके अलावा जो रचना nit  पटना में सुनाई गई है वह भी हमारी रचना `दिल समझे या न समझे समझाना पड़ता है` में से निकाली गई है ,ये और भी दूसरे कवियों क़ी टिप्पणियाँ , और कविताएँ आदि पढ़ते रहे हैं ,इस प्रकार एक लम्बे समय से ये साहित्यिक चोरी में लिप्त हैं ,और अब जब इनकी पोल खुल गई है तो लोगों को धोखा देने के लिये तमाम हथकंडे अपना रहे हैं ,जिनमें दूसरे कवियों के tape आदि लगवाये जा रहे हैं , हम सोचते थे उनका नाम साफ़ -साफ़ न लिखें ,इसीलिए हमने संकेतों में बात क़ी थी पर लोगों ने साहित्यिक चोर को बेनक़ाब करने के के लिये पिछले कई महीने में कई बार आग्रह किया है,और अब ये आवश्यक हो गया है  इसलिए उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये विवरण नाम सहित आप लोगों को दिया जा रहा है - - नित्यानंद `तुषार` 

Wednesday, April 13, 2011

युग वंशिका ,


हिंदी की नई साहित्यिक पत्रिका

 - - संपादक -- नित्यानंद `तुषार`

(मर्मस्पर्शी कहानियाँ , सरस कविताएँ , गीत ,ग़ज़ल , लेख आदि )

जुलाई 2011  के प्रथम सप्ताह में बाज़ार में उपलब्ध  होगी , अपनी प्रति के लिए अपने शहर के पत्रिका विक्रेता से संपर्क करें , कोई  कठिनाई होने पर  ghazalmagic@gmail.com          पर  मेल कर  संपर्क करें     

मैं इक प्यासा समंदर हूँ और इक मीठी नदी हो तुम - - नित्यानंद `तुषार`

ये माना  अजनबी हो तुम , मगर   अच्छी लगी हो तुम
तुम्हीं को सोचता हूँ मैं ,     मेरी अब जिंदगी हो   तुम
ख़ुदा    ने    सिर्फ़     मेरे     वास्ते    तुमको    बनाया    है
मैं इक प्यासा समंदर हूँ   और इक मीठी नदी हो तुम - -  नित्यानंद `तुषार`
 
Ye mana ajnabi  ho tum ,magar achhi lagi ho tum
Tumhin ko sochta hoon main, meri ab zindagi ho tum
Khuda ne sirf mere vaaste tumko banaya hai
Main ik pyasa samandar hoon, aur ik meethhi nadi ho tum - - Nityanand `Tushar`

Friday, April 1, 2011

जिनके धंधे काले हैं , उजले चेहरे वाले हैं -- नित्यानंद `तुषार`

जिनके     धंधे    काले  हैं
उजले    चेहरे     वाले   हैं
शे`र    चुराते    हैं      मेरे
ख़ुद  लिखने के लाले हैं -- नित्यानंद `तुषार`

Monday, March 21, 2011

तन के, मन के भावों पर भी अपना पूर्ण नियंत्रण है - - नित्यानंद तुषार


माना  काफ़ी  सुन्दर  हो ,तुममें अदभुत आकर्षण है
जितना चाहे होली खेलो  तुमको खुला निमंत्रण है

मेरे मन के अन्दर पावन गंगा का जल बहता है
टूट नहीं सकता जो तुमसे संयम का वो दर्पण है

जी भर कर तुम कोशिश कर लो विचलित ना कर पाओगी 
तन के, मन के भावों पर भी अपना पूर्ण नियंत्रण है - - नित्यानंद तुषार

यूँ  भी  पढ़  कर  आनंद  लें

 माना काफ़ी सुन्दर हो ,तुममें अदभुत आकर्षण है
जितना चाहे होली खेलो तुमको आज  निमंत्रण है

मेरे मन के अन्दर पावन गंगा क़ा जल बहता है
टूट नहीं सकता जो तुमसे संयम क़ा वो दर्पण है

जी भर कर तुम कोशिश कर लो विचलित ना कर पाओगी
तन के ऊपर ,मन के ऊपर अपना पूर्ण नियंत्रण है - - नित्यानंद तुषार

Wednesday, March 2, 2011

उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी - - नित्यानंद `तुषार`

उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी
उससे जब नज़रें मिलीं थीं वो घड़ी अच्छी लगी

उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा` तुम हो मेरे `
दिन गुलाबी हो गए ,ये ज़िन्दगी अच्छी लगी
...
पूछते हैं लोग मुझसे , उसमें ऐसा क्या है ख़ास
सच बताऊँ मुझको उसकी सादगी अच्छी लगी

कंपकंपाती उँगलियों से ख़त लिखा उसने `तुषार`
जैसी भी थी वो लिखावट वो बड़ी अच्छी लगी - - नित्यानंद `तुषार`

Monday, February 14, 2011

कवि सम्मेलन संपन्न

कवि सम्मेलन संपन्न

 कवि सम्मेलन संपन्न
 विगत दिनों पाँच सितारा होटल दी क्लेरेजिस ,सूरजकुंड ,दिल्ली ,एन सी आर में एक भव्य कवि सम्मेलन क़ा आयोजन किया गया
कवि सम्मेलन 2 घंटे की अवधि के लिये नियत था परन्तु श्रोताओं के जमे रहने के कारण 3 घंटे तक चला
कवि सम्मेलन प्रारंभ होने से पूर्व इंडियन पैंट्स असोशियेशन की ओर से श्री पी. के खन्ना द्वारा सभी आमंत्रित कवियों क़ा शानदार बुके भेंट कर स्वागत किया गया
भव्य सभागार में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि डॉ कुअंर बेचैन को सोंपी गई .अध्यक्ष की अनुमति से कवि सम्मेलन प्रारंभ किया गया
कवि सम्मेलन में सरस्वती वंदना के पश्चात् संचालक द्वारा गाजियाबाद से पधारे युवा ग़ज़लकार नित्यानंद `तुषार को आमंत्रित किया गया
नित्यानंद`तुषार` की पंक्तियाँ श्रोताओं द्वारा तालियों की गडगडाहट के साथ ह्रदयंगम की गईं ,नित्यानंद ` तुषार` ने अपनी कई ग़ज़लों और गीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया

मुश्किलों से भी निकलना सीखिए
जगमगाना है तो जलना सीखिए
जब फिसलने की तमन्ना हो जवाँ
उन दिनों में भी संभलना सीखिए -नित्यानंद `तुषार`

नित्यानंद `तुषार` के बाद कानपुर से पधारे गीतकार विनोद श्रीवास्तव जी ने अपने काव्य पाठ में अपने कुछ मुक्तक तथा एक गीत प्रस्तुत किया ,श्रोताओं ने उन्हें भी एकाग्र होकर सुना

धर्म छोटे बड़े नहीं होते
जानते तो लड़े नहीं होते - विनोद श्रीवास्तव
कानपुर से ही पधारे गीतकार वीरेन्द्र आस्तिक जी द्वारा अपने गीत प्रस्तुत किये गए,उनके गीत श्रोताओं द्वारा पसंद किये गए, खासतौर पर विदेश में रहने वाले युवक की मनोदशा वाला गीत
लोगों ने डूबकर सुना

खुशियाँ हैं ,जैसे मृग जल
....
पापा ने ईमेल किया है
मम्मी क़ा आँचल -वीरेन्द्र आस्तिक

अध्यक्षता की परंपरा तोड़ते हुए संचालक ने गाजियाबाद से पधारे कवि डॉ. कुंअर बेचैन को काव्य पाठ हेतु आमंत्रित किया ,कुंअर बेचैन जी ने अपने गीत और ग़ज़लों से श्रोताओं को आनंदित किया

ग़मों की आँच पे आँसू उबालकर देखो
बनेंगे रंग किसी पर भी डालकर देखो - कुंअर बेचैन

मणिपुर से पधारीं डॉ.कंचन शर्मा जो कि मुक्त छंद की अच्छी कविताएँ लिख रही हैं , उन्होंने अपनी कई छोटी कविताएँ प्रस्तुत कीं और श्रोताओं द्वारा उनकी पंक्तियाँ आत्मसात की गईं,और उन्हें मन से सुना गया

हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा भी मंच पर शोभित थे, श्रोता उन्हें भी सुनना चाहते थे ,संचालक ने उन्हें कविता पाठ हेतु आमंत्रित किया,सुरेन्द्र शर्मा जी ने कहा कि आप मेरे लिये तालियाँ बजा सकते हैं ,ये सुनते ही सभागार में तालियाँ और ठहाके गूंजने लगे ,उन्होंने हास्य रस की कई कविताएँ सुनाई ,पर बीच- बीच में मर्म स्पर्शी नैतिक ,प्रेरक और सामाजिक बातें भी कहीं,लोग हँसते -हँसते लोट पोट हो गए    ,उनकी एक कविता कांफिडेंस क़ा कुछ भाग  कुछ यूँ था ,

एक आदमी अपने लड़के को पीट रहा था ,
मैने पूछा कि इसे क्यों पीट रहे हो ,
उसने कहा कि कल इसका रिजल्ट आना है और आज मुझे बाहर जाना है -सुरेन्द्र शर्मा

इसके पश्चात् भोजन की व्यवस्था वहीँ पाँच सितारा होटल में ही की गई थी ,कवि सम्मेलन से पूर्व सभी आमंत्रित कवियों को इसी पाँच सितारा होटल में आराम करने हेतु प्रथक -प्रथक कमरे भी उपलब्ध करवाए गए थे ,इस प्रकार यह कवि सम्मेलन संपन्न हुआ और श्रोताओं तथा कवियों के लिये एक सुनहरी याद बन गया
प्रस्तुति-नित्यानंद `तुषार`

Wednesday, February 9, 2011

इक आग है सीने में ,तस्वीर बदलने की - नित्यानंद `तुषार`

ग़ज़ल

जो सोच रहे हैं हम , वो करके दिखाना है
अंधियार मिटे जिससे , वो दीप जलाना है

इक आग है सीने में ,तस्वीर बदलने की
तुम  साथ ज़रा दे दो , ये मुल्क़ सजाना है

शोहरत के लिये यारों ,हम शे`र नहीं कहते
जो नींद में डूबे हैं ,उनको ही जगाना है

उस मोड़ पे हैं अब हम ,कोई राह न सूझे है
ख़ुद को भी बचाना है , रिश्ता भी निभाना है

अहसान भुलाने में ,दो पल भी न लगते हैं
उम्मीद न रक्खो तुम , खुदगर्ज़ ज़माना है - नित्यानंद `तुषार`

(वर्तमान साहित्य , दिसम्बर 2010 में प्रकाशित)

Tuesday, February 8, 2011

मेरा अपना तजुर्बा है, इसे सबको बता देना - नित्यानंद `तुषार`

Preeti Rawat http://pustkain.blogspot.com/2005/10/blog-post_18.html
क्‍या आप इसी रचना की बात कर रहे हैं

  •  
    Nityanand Tushar kis rachna ,krapya pankti likhein aur savaal spasht karein




  • Preeti Rawat
    ji jarur

    मेरा अपना तजुर्बा है इसे सबको बता देना
    हिदायत से तो अच्छा है किसी को मशवरा देना।

    ...अभी हम हैं हमारे बाद भी होगी हमारी बात
    कभी मुमकिन नहीं होता किसी को भी मिटा देना ।




  • Preeti Rawat per likha to buhut khub hai apane
    buhut hi badiya panktiya hai sir ye bhi





  •  
    Nityanand Tushar isi par ye charcha chal rahi hai ,meri aapatti pahali pankti par hai ,iit jaisi sansthaon mein jane ye khel kabse chal raha hai?




  • Nityanand Tushar

    preeti ji ,aapki ichha hai ,par kya kisi ke comment se kisi galat cheez ko sahi tehraya ja sakta hai ,copy right act 1957,together with 1958 mein saaf saaf likha hai ki kisi creation mein koi change karke bhi koi kuchh karta hai to ye copy ...right act ke anusaar infigement hai ,aur copy right act ka ullanghan DANDNIY APRADH HAI ,i YE TO AAP BHI JANTI HI HONGI .
    Act ki hu -b--hu pankti ye hai

    if he saves himself the trouble and laboure requisite for collecting that information by adopting other`s work with colourable variations,he is guilty of infringement of copyright---page32

    in this act adaption means-
    5.in relaton to any work ,any use of such work involving its rearrangement or alteration -page 2
    AB AAP SAMAJH HI GAI HONGI KI KYA HUA HAI AUR KYA HO SAKTA HAI




  • Preeti Rawat ok ....kya me aapki pankti ek dusari pankti ke sath apne wall per dalu
    agr aapko aapti nahi ho to fir comment dekhte hai apn sab logo ke ki kya sochte hai wo is bare me.... aapke replay ke bad hi dalungi me





  •  
    Nityanand Tushar MERE NAAM SE AAP MERI KAVY PANKTIYAN APNI WALL PAR DAL SAKTI HAIN




  • Nityanand Tushar

    ABHI AAPNE EK COMMENT DIYA THA KISI KA ADHA NAAM LIKH KAR

    KI UNKI PANKTI KE SAATH AAPKI PANKTIYANA PNI WALL PAR

    DALUN ,KYA MAJBOORI RAHI KI VO COMMENT AAPKO HATAKAR USKA
    ...
    NAAM CHHIPA KAR

    AUR SANSHODHIT KAR COMMENT LAGANA PADA ,KRAPYA BATAIEN




  •  
    Vinit Yadav

    ‎@ Tusar ji,
    Sahityik chori kisi bhi hal me bardast nhi ki ja sakti.

    aaapke nam ki pahli yaad jo mere man me hai wo ek kitab ke bare mahai jime aaone "SHIV OM AMBAR"ji ki gajlo ko sanklit kiya hai.tab shayad mai 10th class me tha.

    ...aap nishchit roop se achha likhte hain. mere pas aapki 1 hi kitab hai. heart touching and soft languege me hai.




  •  
    Nityanand Tushar THANKS VINEET JI,YE HI JAGRUKTA CHAHIYE.




  •  
    Nityanand Tushar

    हवा जब तेज़ चलती है तो पत्ते टूट जाते हैं
    मुसीबत के दिनों में अच्छे-अच्छे टूट जाते हैं

    बहुत मजबूर हैं हम झूठ तो बोला नहीं जाता
    अगर सच बोलते हैं हम तो रिश्ते टूट जाते हैं
    ...
    बहुत मुश्किल सही फिर भी मिज़ाज अपना बदल लो तुम
    लचक जिनमें नहीं होती तने वे टूट जाते हैं

    भले ही देर से आए मगर वो वक़्त आता है
    हक़ीक़त खुल ही जाती है मुखौटे टूट जाते हैं

    अभी दुनिया नहीं देखी तभी वो पूछते हैं ये
    किसी का दिल, किसी के ख्व़ाब कैसे टूट जाते हैं

    'तुषार' इतना ही क्या कम है तुम्हें वो देखते तो हैं
    अगर कुछ रौशनी हो तो अँधेरे टूट जाते हैं




  • Nityanand Tushar PREETI JI PASAND KARNE KE LIYE DHANYVAAD,APNE BATAYA NAHIN MAINE ANURODH KIYA THA KI COMMENT AAPNE KYUN CHANG KIY ,PAHLE AAPNE KAVI KA ADHA NAAM LIKHA AAUR PHIR HATA DIYA ,AAKHIR KYN ,ITNE SAVAAL JAVAAB KE BAAD AAPKA KYA NISHKARSH HAI ,AAPKO ,AUANKIT JI ,VVINEET YADAV JI KO SAFAI DENE MEIN BAHUT VAQT LAGA HAI AAP LOG SAHMAT HAIN YA NAHIN KI ABCHORZYADA SAMMANIT HAIN  




  • Preeti Rawat
    nityanand ji
    huaa ye ki mene jese hi comment dala to mujhe mere hi ek frnd ne ye puchha ki tum unka aese naam kese le sakti ho ,,to mujhe laga ki ha ye galat hai jese mene aap se permission li vishnu ji se bhi li thi vese hi kisi bhi vivad m...e unka naam lene se pahle mujhe unki bhi permmions leni hi chahiye...bas yahi soch ker naam hata diya unka mene ,,,,koi or karan nahi tha......per mene aapki kavitaye padi buhut hi sunder likhte hai aap to vishnu ji ko bhi abhi kuchh din pahale hi suna ...unki kavitaye bhi buhut khud hai aap se unki hi wall se judane ko mila....nahi to pata hi nahi tha ki kuchh aesi charchye bhi hai ....kavi jagat me




  •  
    Nityanand Tushar

    Der se hi sahi uttar dene ke liye dhanyvad ,ye vivaad nahin hai ye sachchaai hai jo hum kah rahae hain ,abhi NI.T. SURAT ke ek student ne mjhse phone par kaha hai ki ye to sedhe -seedhe copy paste hai YE STUDENT,VO HAIN ,JINHONE MERI YE ...GHAZAL meri pustak sitam ki umr chhoti hai mein padh rakhi thi ,ab to aap bhi maan lengi ki nayee peedhee tak hammri kavitaien pahunchin hain aur vo log bhi is chori par hairaan hain. aapko itne pramaan dene ki peshkash mere dvara ki gai aur aap ab bhi kisi nishkarsh par nahin hain,AB MAIN BHI HAIRAAN HOON KI AAP KYON EK SHAKHS KA ITNA BACHAAV KAR RAHIN HAIN.AAKHIR AAP LOGON KO SAFAAI DENE MEIN MERA KITNA SAMAY LAGA ,MUJHE APNE AAJ K SARE KARY NIRAST KARNE PADE, KI PATA NAHIN MARKETING TEAM KI YA UNKE ANY SAHYOGIYON KI ORE SE KYA TARK DEKAR ISE ZAYAZ THEHRA DIYA JAYE.




  •  
    Preeti Rawat nahi me koi bachav nahi ker rahi hu kisi ka................
    aapki kavitaye per mujhe buhut pasand aai
     




  • Nityanand Tushar
    Chaliye maan liya ki jo aapne kaha hai ki aap kisi ka bachaav nahin kar rahin hain.
    Asal mein mujhe dukh hota hai ki hamari yuva peedhee ko marketing team ne kachre ko great poem samajhva diya hai ,unki aankhein khulni bahut zaroori hain ,I...SI KI AAD MEIN log chori kar-kar ke great,awesome,celebrity,aur na jane kya,kya bankar masoomon ko bhramit karte rahenge aur unse lakhon rupyon ki vasooli karte rahenge ,aur vastvik kaviyon ko log jaan na jayein ,nyee peedhee na jaan jaye isliye apni websites banakar unka zikr bhi nahin karte hain kyunki unhein us jhoote jaadu ke tootne ka dar rahta hi jo ki lifting ki buniyaad par nirmit kiya gaya hai.




  • Preeti Rawat aap bhi sahi hai apni jagah...............abhi aapki wah wah wali kiliping dekhi buhut badiya lagi




  •  
    Nityanand Tushar http://www.facebook.com/pages/Nityanand-Tushar/190974927592798 yahan aaiye aur jaankari mileg hamare bare mein,hamare lkhe recorded geet sangeet kesaath han,unehin bhi aap sun sakti hain.,vart ,charcha ,aur pasand karne ke hardik dhanyvaad. 




  •  राहुल सागर sorry for late->sir sch samne jarur aayega.....



  • नालायकों को लायक, इस दौर ने बनाया - नित्यानंद `तुषार




  • Preeti Rawat

    नित्‍यानंद जी
    में ये तो नही जानती की आपक जो कह रहे हो उसकी सच्‍चाई क्‍या है, ये या तो आप जानते हैं या कह जिनके लिए कह रहे है वो जानते हैं क्‍योकि हमने पहले उन्‍हे सुना हैं तो यह कहना की आपकी हैं या उनकी हम इसे सत्‍यापित नही कर सकते है

    परंतु ...में यह जरूर कहना चाहती हु कि उन्‍होने नयी पीडी को कविता सुनना और कविता सुनने का सलिका जरूर सिखाया हैं नही तो जवान पीडी सिर्फ पब पर जाने का ही र्शौक रखती थी , कविताऔ में क्‍या जादु हैं ये तो वो जानती ही नही थी, ये उन्‍होने ही सिखाया हैं

    देखा जाये तो अच्‍छी कविताओं को सुनना शायद जवान पीडी उन्‍ही से सीखी है,और दुसरे अच्‍छे कवियो को भी,

    में उनकी पैरवी तो नही कर रही हु पर ये जरूर जानती हु कि नयी पीडी को इस युग में उन्‍होने कविताओं से जुडा जो दुसरे किसी कवि ने नही कियाा

    और ये भी मानती हु कि उनसे अच्‍छी कवितायें लिखने वाले भी बहुत सारे कवि है जिन तक अभी हम नही पहुचे पर उन्‍हे समझ पाये और सुन पाये ये जरूर उनकी कौशिशो का नतीजा हैं

    इसे नकारना भी गलत ही होगा ...........................

    or aapki kalam me bhi gajab ka jadu hai ye bhi mana hamne......




  • Ankit Shukla ‎@preeti ji...apke hamare wichar bht milte hai, ye to ham bhi mante hai ki TUSHAR JI BHT ACCHA LIKHTE HAI...




  •  
    Nityanand Tushar

    ‎@preeti ji rawat ये ग़ज़ल की पंक्ति जिस पर हम लोग चर्चा कर रहे हैं, 22 अगस्त 1992 को लिखी गई थी तथा 1996 में मेरे ग़ज़ल संग्रह `सितम की उम्र छोटी है` में छपी थी , जिसे लोगों ने ख़रीदा था ,वर्ल्ड बुक फेयर 1996 में भी इसकी का...फ़ी बिक्री हुई , ...फिर ये किताब इतनी पोपुलर हुई कि `साये में धूप ` के बाद ग़ज़लों की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब बन गई ,और ये तो तब हुआ जब किसी बड़े नेटवर्क से इसे बेचा नहीं गया था, नहीं तो जाने क्या हाल होता ,बड़े नेटवर्क से न बेचे जाने के पीछे कारण ये था कि लोग खरीद सकें , क्योंकि साहित्यिक किताबें महँगी होतीं हैं और मैं लोगों की पहुँच में कीमत रखना चाहता था ,ये किताब अब पांचवीं बार छपकर आएगी ,किसी मोस्ट पोपुलर कवि की ,किसी सेलेब्रिटी कवि की ,कोई ग़ज़लों की किताब इतनी बार आज तक नहीं छपी है (जबकि वो बड़े दावे के साथ शायरी करने और श्रोताओं के दाद न मिलने की दशा में कल से शायरी छोड़ने क़ा दावा करते हैं ,शायरी तो आप तब छोड़ेंगे जब आप शायरी जानते हों,जब आप चार लाइन की तीन तुक भी ठीक से नहीं मिला सकते तो आप शायरी कहाँ जानते हैं ,जो आप शायरी छोड़ेंगे ),आप चाहेंगी तो आपको उन हज़ारों लोगों में से कुछ उन लोगों के एड्रेस भेज दिये जायेंगे जिन्होंने ये किताब खरीद रखी है उनसे आप पुष्टि करके इसे सत्यापित कर सकती हैं ,इस पुस्तक कि समीक्षाएं भी आपके इस पंक्ति के सुनने से पहले छप चुकी हैं अख़बारों और पत्रिकाओं में ,उनकी छायाप्रतियां भी आपको भेज दी जाएगी ,
    अगर हमें ज़्यादा मजबूर किया जायेगा तो तथा कथित सेलेब्रिटी कवि ? के लिफ्टिंग के और उद्धरण fb पर खोलने के लिये मजबूर होना पड़ेगा( जिससे वो और बेनकाब हों जायेंगे ) ,जिनमें से कुछ अभी सिर्फ़ श्री अंकित शुक्ला जी को मेसेज द्वारा उनकी जिज्ञासा के क्रम में भेजे गए हैं ,

    मेरा किसी से कोई विरोध नहीं है , लेकिन कोई नई पीढी को लगातार गड्ढे में धकेलता चला जाये ,उसे छलता रहे ,कविता के नाम पर अनर्गल बकवास सुनाता रहे , और वो जब मौक़ा लगे, दूसरों की पंक्तियाँ और टिप्पणियाँ उडाकर मासूमों की निगाह में आदर्श बनता रहे, ,क्या ये उचित है ? .ज़रा कल्पना कीजिये कि यदि सच्चाई उन सभी लोगों तक गई , जिनको अभी कुछ पता ही नहीं है और जो किसी को आदर्श मानकर उसका फैन बनने में गर्व क़ा अनुभव कर रहे हैं तो उनकी क्या मनोदशा होगी ? .इसीलिए हमने खुलकर नाम नहीं लिखा है , हम संकेत मैं बात कर रहे हैं . क्या आप चाहेंगे कि किसी सच्चे कवि के हक़ पर डाका पड़े ?
    इस शे`र के साथ बात समाप्त करता हूँ जो की `शुक्रवार` नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में छपी मेरी ग़ज़ल में है

    नालायकों को लायक, इस दौर ने बनाया
    जो जानते नहीं कुछ ,वे टॉप कर रहे हैं - नित्यानंद `तुषार`




  • Nityanand Tushar

    ‎@preeti ji rawat Aur haan ,jahaan tak nai peedhi ko kavitaon se jodne ka savaal hai to aapko bata dein ki` sitam ki umr chhoti hai` ke hazaron paathkon mein nayee peedhee ki kai badi sankhya hai. Ab bhi yadi yakin na aata ho to ek baar wor...ld book fair mein prarambh prakashan ke staall par aakar dekh lena ,ye sach aapko apni aankhon se hi dikh jayega ,ki kitne loghamari kitabein khareedate hain ar kitne autograph ke liye line lagaate hain .Maine aisi ghatnaaon ko photo ke layak hi nahin samjha aur kisi ne in cheezon ko hi bada mahattavpurn samjhaaur is tarah ke photograph net par lagaye ,isi tarike se aur aise hi any tarikon se masoomon ko bhramit kiya hai .



  • .वे निरंतर धोखा करते रहते हैं और मासूम बच्चों के आदर्श बनते रहते हैं - नित्यानंद `तुषार`

    facebook पर मेरे नोट मौलिकता क़ा मोल नहीं है चोर यहाँ सम्मानित हैं ,   पर अभी सवाल -जवाब क़ा सिलसिला चल रहा है उनके एक प्रशंशक , एक और नवयुवक द्वारा जो प्रश्न किये गए और उनको जो उत्तर दए गए आपके समक्ष प्रस्तुत हैं .
     Vinit Yadav
    प्रिय दोस्तों,
    मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि आज कि तारीख में क्या कोइ ऐसा कवि है जो इस रचना को इतनी अच्छी प्रस्तुति दे सकता है?
    आज मीडिया और टेक्नोलोगी अडवांस हो गयी है. जो नही बदलेंगें समय के साथ मिट जायेंगे.
    आप सभी के सामने मैदान खुला है ..आप... में दम है तो अपनी कविता को खुद सुनाने कि हिम्मत करिए. आप सर आँखों पे होंगे. आखिर में...
    " शौके-दीदार है अगर ,
    तो नजर पैदा कर."



  • Nityanand Tushar

    विनीत जी ,पहले तो सोचा था कि आपको कुछ न कहें पर बाद में लगा कि आपसे कुछ कहा जाये
    क्या किसी की अच्छी प्रस्तुति क़ा तर्क देकर उसके द्वारा की गई साहित्यिक चोरी को जायज़ ठहराया जा सकता है ,यदि आपका जवाब हाँ है, तो फिर कुछ भी कहने क़ा फ़ायदा ...नहीं है.
    ,हम जानते हैं कि जिसे आप पसंद करते हैं उसके बारे में अगर कुछ ऐसा सुनने को मिलता है जिसकी आपने कल्पना नहीं की होती है तो अपार दुःख होता है ,आप लोगों कि मनोदशा हम समझ सकते हैं .



    रही बात कविता सुनाने के दम की तो ,यदि आप खुले मन से सुनेंगे तो आपको प्रत्येक अच्छे कवि की कविता अच्छी लगेगी, यदि आप मुझे सुनना चाहते हैं और मेरा कविता सुनाने क़ा दम देखना चाहते हैं तो मैं आपकी ये चुनौती स्वीकार करता हूँ,(आप कोई कार्यक्रम निर्धारित करें, हमें सुनें और ईमानदारी से अपने दिल से पूछ कर किसी निर्णय पर पहुंचें ) ,क्योंकि कविताएँ तो हम सुनाते ही रहते हैं,और ईशवर की कृपा और आप जैसे श्रोताओं क़ा हमें भरपूर प्यार मिलता रहता है.,आपने कहा है कि आप सर, आखों पर होंगे ,उससे ऐसा प्रतीत होता है कि आप वाकई में अच्छी कविता पसंद कर सकते हैं ,रेगिस्तान में जहाँ ज़ोर की प्यास लगी हो वहाँ अशुद्ध जल भी अच्छा लगता है मगर साफ़ नदी क़ा अगर मीठा जल मिल जाये तो उसकी बात ही कुछ और होती है ,अशुद्ध जल के सप्लायर अपने जल को कुछ और अच्छा और मीठा करने के लिये दूसरों के अच्छे और मीठे जल को चुराते रहते हैं, और प्यासों के साथ बहुत शातिर ढंग से छल करते रहते हैं.वे निरंतर धोखा करते रहते हैं और मासूम बच्चों के आदर्श बनते रहते हैं , वे चार लाइन के कविता को पूरा करने में काफ़ी समय लेते हैं ,क्यूंकि अच्छी और प्रभाव छोड़ने वाली पंक्तियों क़ा उनके पास अभाव होता है ,और यही अभाव उन्हें चोरी की तरफ़ ले जाता है ,कविता सुनाने के बीच -बीच में अनर्गल बातें इसी लिये की जातीं हैं कि आख़िर अच्छी कविताएँ वो बेचारे लायें कहाँ से ,क्योंकि ये उनकी सामर्थ्य में है ही नहीं ,और ये कमजोरी उन्हें दूसरों की पंक्तियाँ लिफ्ट करने , टिप्पणियाँ लिफ्ट करने पर और चोरी पकड़ी जाने पर शर्मिंदगी के लिये मजबूर करती है ,

    आपने मिटने की बात की है अपना ये शे`र कह कर आपकी उस बात क़ा उत्तर देता हूँ और अपनी बात समाप्त करता हूँ .

    अभी हम हैं , हमारे बाद भी होगी हमारी बात
    कभी मुमकिन नहीं होता किसी को भी मिटा देना - नित्यानंद `तुषार`





  • Saturday, February 5, 2011

    अगर सच बोलते हैं हम तो रिश्ते टूट जाते हैं- नित्यानंद `तुषार`


                             ग़ज़ल
     
     
    हवा जब तेज़ चलती है तो पत्ते टूट जाते हैं
    मुसीबत के दिनों में अच्छे-अच्छे टूट जाते हैं

    बहुत मजबूर हैं हम झूठ तो बोला नहीं जाता
    अगर सच बोलते हैं हम तो रिश्ते टूट जाते हैं
    ...
    बहुत मुश्किल सही फिर भी मिज़ाज अपना बदल लो तुम
    लचक जिनमें नहीं होती तने वे टूट जाते हैं

    भले ही देर से आए मगर वो वक़्त आता है
    हक़ीक़त खुल ही जाती है मुखौटे टूट जाते हैं

    अभी दुनिया नहीं देखी तभी वो पूछते हैं ये
    किसी का दिल, किसी के ख्व़ाब कैसे टूट जाते हैं

    'तुषार' इतना ही क्या कम है तुम्हें वो देखते तो हैं
    अगर कुछ रौशनी हो तो अँधेरे टूट जाते हैं   -   नित्यानंद `तुषार`

    Thursday, February 3, 2011

    सख्त कदम उठाने से पहले बार- बार सोचा जाता है -- नित्यानंद `तुषार`

    कुछ नवयुवकों ने मुझसे प्रश्न किये ,उनका उत्तर दिया गया फिर कुछ प्रश्न और पूछे गए ,उनका भी  उत्तर  दिया गया अंत में ये प्रश्न पूछा गया ,उसका जो उत्तर दिया गया ,आपके समक्ष प्रस्तुत है .ये सारी बातचीत ,प्रश्न  ,उत्तर आप face book  पर  मेरी वाल पर देख सकते हैं.
        Ankit shukla तुषार जी आप कि बाते सत्य है तो फिर एक अंतिम सवाल ये कि जिन बड़े लोगो के अपने नाम बताये उनमे से एक वो अपना गुरु बताते है तो वो गुरुदेव और वे सब बड़े कवि लोग जिनमे से आप भी एक है.. आखिर मंच पे इस बात को क्यों नहीं रखते? आखिर किस कारण से सब अपने कंटेंट कि चोरी होने पर भी बात को उठाना नहीं चाहते? क्या ये सिर्फ फेसबुक तक ही सीमित रहेगा??

    Nityanand Tushar जैसा आपने कहा कि आप कवि सम्मेलन में रस लेने जाते हैं आपके रस में कोई बाधा न पड़े इसलिए वहाँ इस प्रश्न को नहीं उठाया जाता है.,उसके लिये वह स्थान उचित नहीं है , यहाँ हम लोग fb पर इस विषय पर परस्पर चर्चा कर सके हैं और कर रहे हैं ,हम सब अपनी सुविधा से समय मिलने पर अपनी बात कह सकें , इसलिए यहाँ यह बात उठी है .अगर और कवि अपने कंटेंट की चोरी के प्रति सतर्क न होते तो इतने सारे उदाहरण कहाँ से आते, ,जो आपको दिये गए हैं ,ये कवियों की आपसी चर्चा से ही निकल कर आये हैं.कुछ पुराने दिनों की यादें , भावनात्मक,व् पारिवारिक सम्बन्ध कानूनी कार्यवाही के रास्ते में भावनात्मक रूप से आड़े आ जाते हैं ,इसलिए सख्त कदम उठाने से पहले बार- बार सोचा जाता है ,पर जब बहुत जरूरी होगा तो लोग उस विकल्प पर भी विचार करने के लिये मजबूर हो सकते हैं .अभी तक कवि समाज के लोग एक दूसरे के लिये सहयोगी के रूप में ही रहे हैं लेकिन इस तरह के परिवेश में परिस्थितियाँ बदल रहीं हैं जिसक़ा हमें बेहद अफ़सोस है.हम चाहते हैं कि कोई कवि?, कवि किसी के कंटेंट को न चुराए जिससे आपसी सौहार्द बना रहे और जो लोग अब लोगों के आदर्श बनने लगे हैं उनके प्रशंशकों को उनकी कारगुजारियां जानकर धक्का न लगे.
    और अब आपके लिये एक शे`र

    जैसे वो हैं हम तो ऐसे हो नहीं सकते `तुषार`
    हम उन्हें भी चाहते हैं दुश्मनों को क्या पता - नित्यानंद `तुषार`

    कुँए से बाहर निकलिये, दुनिया देखिये -नित्यानंद `तुषार`


    दोस्तो फब पर मेरे नोट पर एक नवयुवक ने मुझसे कुछ प्रशन किये हैं सेलेब्रिटी पोएट ?के बारे में ,उनको जो उत्तर दिया है उसे आपके समक्ष ,आपकी अदालत में भी रख रहा हूँ
    @अंकित जी, आपकी पूरी बात हमने समझ ली है अब ,आप हमारी बात सुनिए ,यदि आप उनकी मार्केटिंग टीम क़ा हिस्सा हैं तो हमें आपसे कुछ नहीं कहना है और यदि वास्तव में आपकी कोई जिज्ञासा है तो उसके लिये हम सदैव तत्पर हैं.
    वैसे तो कोई किसी क़ा विकल्प नहीं होता ,पर थोड़ी देर के लिये आपकी बात मान भी ली जाये तो तो सुनिए इंजिनियर क़ा विकल्प इंजिनियर ही होगा कोई डॉक्टर नहीं ,और डॉक्टर क़ा विकल्प डॉक्टर ही होगा कोई इंजिनियर नहीं. कोई मौलिक कवि ही किसी मौलिक कवि क़ा  विकल्प हो सकता है ,किसी मजमेबाज क़ा नहीं ,किसी चोर कवि क़ा नहीं, दूसरों की कविताओं से पंक्तियाँ या कविता उठाने  वाले क़ा विकल्प नहीं ,या दूसरों की टिप्पणियाँ सुनाने  वाले क़ा विकल्प नहीं ,और मेरे पास इन सब  बातों  के साक्ष्य हैं जो मैंने लिखीं हैं ,देश के एक बड़े कवि के अनुसार उनसे बड़ा चोर और नीच कोई और नहीं है ,ये लिखित रूप में मुझे sms से भेजा गया है ,आज ही देश की एक बड़ी कवियत्री ने मुझे फ़ोन पर बताया है की उनकी गंगा और तिरगा कविता भी उनके द्वारा  मार दी गई है , राजस्थन के एक  enginering के छात्र ने बताया है कि उसकी एक कविता जो कि ब्लॉग पर है उसे भी उन्होंनेबिना उस क़ा नाम लिये  सुनाया है, देश के  एक    बड़े शायर क़ी टिपण्णी भी उन्होंने उडाकर इंजीनियरिंग के छात्रों  को सुनाई है, ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं और उनके सबूत भी हैं.असल  में उन्हें ऐसा करने क़ी लत पड़ चुकी है

    आपने कहा है कि हम कवि सम्मेलन में कविता क़ा रस लेने जाते हैं ज़रूर जाइये और रस भी लीजिये ,आपसे किसने कहा है कि आप ग्रामर और ग़ज़ल के नियम में उलझें ,आप श्रोता   हैं और ये काम  आपका है भी नहीं, पर जो आदमी अपनी जिस कविता को ग्रेट कहता और कहलवाता है तो क्या इस देश क़ा कोई कवि उस कवि से शुद्ध कविता कि अपेक्षा भी न रखे? , जब उस कवि को कविता या ग़ज़ल  क़ी बारीकियां नहीं पता हैं तो वह देश क़ी जनता को धोखे में क्यूँ रखना चाहता है ,वह किस मुँह से जाकर  टीवी चैनल  पर जाकर बैठता है?और किस अधिकार से राय देता है .यदि आप सर्वश्रेष्ठ    होने क़ा दावा करेंगे तो आपको सर्वश्रेष्ठ   होना भी पड़ेगा और उसमें कविता,ग़ज़ल क़ी बारीकियों  क़ा ज्ञान भी सम्मिलित है.
    रही बात आपके रस क़ी ,कि  आप रस लेने जाते हैं .दोस्त अभी आप खराब तेल क़ी जलेबी खा रहे हैं जिस दिन शुद्ध घी क़ी जलेबी खाओगे उस दिन  तेल क़ी जलेबी क़ी तरफ देखोगे भी नहीं ,जिन अमर्यादित टिप्पणियों में आप रस अनुभव कर रहे हैं उससे ज्यादा रस तो और अन्य माध्यमों में मिल सकता है अगर पतन क़ी राह ही चुन  ली है तो .
           आपने कहा है क़ी उसमें कुछ तो खास होगा जिसकी पूरी युवा पीढी दीवानी है ,आइये आपको दीवानगी के लेवल से परिचित करा  देता हूँ देश  क़ी आबादी यदि १२५ करोड़ मान ले औरमान लें जैसा कि बताया जा रहा है  साठ प्रतिशत युवा हैं तो ये संख्या ७५ करोड़ बैठती है ,आप दिमाग़ पर जोर डालकर सोचिये क़ी क्या देश में उनके ७५ करोड़ दीवाने हैं?में समझता हूँ कि इसके  पचास हजारवें भाग  के बराबर लोग भी उनका नाम नहीं जानते,दीवाना होना तो बहुत दूर की बात है . इन्टरनेट  वालों को ही युवापीधी मानकर आप युवा पीढ़े को आंकने में ग़लती कर रहे हैं हमारी या हमारे जैसे अन्य कवि की  ग़ज़ल या अन्य कविता  दैनिक  जागरण ,या अमर उजाला जैसे अखबार में छपती है तो ४०-५० लाख के circulation के अखबार कोअगर १० लोग भी पढ़ते हैं तो वो एक बार में ही ४-५ करोड़ लोगों तक पहुँचती है,हमारी ग़ज़लें पिछले ३० सालों मैं ४०० -५०० बार से ज्यादा छप चुकी हैं अब ज़रा डाउनलोड से कम्प्यर  कीजिये जब एक बार में ही ४-५ करोड़ हो गए तो ज़रा हिसाब लगाइए कि प्रिंट के कितने डाउनलोड (पढना)हो गए , कुँए से बाहर  निकलिये, दुनिया देखिये , मैंने पहले ही कहा कि अगर जिज्ञासा    है तो हर सवाल क़ा जवाब दंगे और अगर उनकी टीम    के आप भी मेम्बर हैं  जो कि मासूमो के    भविष्य से खेल रही है और  उन्हें पतन क़ी और ले जा  रही है तो बात और है
    एक   बात और ,इस बातका बी हल्ला मचा  रखा है कि 4   lakh download हो गया ,40 lakh   download    हो  गया ,अब ज़रा ये भी समझ लीजिये ,उनकी टीम  ने iit iim और अन्य  कालेज तक पहुँच बनाई  और उन मासूमों के सामने एक सामान्य कवि? जिसका   कि अभी सीखने समझने क़ा समय है  ,को एक बड़े कवि के रूप में प्रचारित किया ,यहीं से बच्चे  धोखे में आने शुरू हुए उसके बाद उन बच्चों  के junior  आये और वो  उस कचरे को कविता समझने लगे जो  कि  वस्तुत कविता है ही नहीं, बात लम्बी हो रही है समाप्त करने क़ी कोशिश करता हूँ, इंजीनियरिंग ,मेडिकल,मैनेजमेंट के और iits के कुल छात्र संख्या  लगभग १० लाख होगी इनमें से यदि दस प्रतिशत यानि 1 लाख ने  ने 2 या चार बार सुन लिया तो  हो गए चार या ५ लाख डाउन लोड
    इन्होए iit,आईआईएम, और अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को इधर,उधर,से उड़ाया हुआ माल सप्लाई कर मूर्ख बनाया है जिस दिन  वे मासूम सच जान जायेंगे और सच्चे कवियों से परिचित हो जायेंगे  ऐसे लोगों को वे वहाँ घुसने भी नहीं देंगे..आपकी कोई और जिज्ञासा हो तो आप पूछ सकते हैं
    अंकित जी, ईश्वर भी देख रहा है कि किस प्रकार बच्चों  को ग़लत बातें बताकर उन्हें पथभ्रष्ट किया जा रहा है, झूठ क़ा साथ देना ,अपराधी क़ा साथ देना कानूनी और  नैतिक दोनों तरह से ग़लत है.और  जिस चीज़ को आप मामूली समझ रहेहैं (दूसरों कि रची चीज़ों को ,उठाना, ,दूसरों  की कविताओं से पंक्तियाँ उठाना )कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है जिसमें जुरमाना और सजा दोनों हो सकती हैं .
    ,आप शायद नहीं जानते होंगे,वो मेरे भी प्रिय हैं ,ह्रदय  के बहुत निकट है  वो मेरा आदर करते हैं और में भी, आज भी उनसे ,उनके परिवार से  उतना ही स्नेह करता हूँ, जितना पहले करता था ,, पर वैचारिक    मतभेद अपनी जगह हैं, और और ये सब जो हो रहा है उसका मुझे दुःख भी है पर क्या करूँ उन्होंने   हालात ही ऐसे पैदा कर दिये हैं कि अब मजबूरी में मुँह खोलना ही पड़ा है भी तक भी मैंने अपनी जबां से  या कलम से उनका नाम नहीं लिया है उनके बारे में  जो कुछ भी लिखा है मजबूरी में लिखा है और लिखने में बहुत तकलीफ हुई है  है  , क्योंकि आप जिसे प्रेम करते है उसे खूबसूरत और परफेक्ट ही देखना चाहते हैं

    ज़रा सोचो दिलों में फासले कैसे पनपते हैं

    जुदा होते हैं आख़िर क्यों जिन्हें धड़कन सुनाते हैं  -नित्यानंद `तुषार`

    Tuesday, February 1, 2011

    मौलिकता क़ा मोल नहीं है , चोर यहाँ सम्मानित हैं - नित्यानंद `तुषार`

    खुद को सेलेब्रिटी कहलवाने वाले   कवि? ने हमारी  ग़ज़ल की पंक्ति
    मेरा अपना तजुर्बा....को अपनी रचना बताते हुए iit kharagpur  के spring fest  2011 में आयोजित ,कवि सम्मेलन में गाया
    you tube पर  spring fest 2011 सर्च  कर  आप  ऐसा  होते  हुए  देख  सकते  हैं , हमें  अपने एक गीत की कुछ पंक्तियाँ अचानक याद आ गईं हैं जिन्हें हम आपके लिये प्रस्तुत कर रहे हैं

    मौलिकता    क़ा  मोल  नहीं  है , चोर  यहाँ  सम्मानित  हैं
     बुद्धि ,पतिभा ,मेधा ,  कौशल ये सब तो अपमानित हैं
    कवि ,  लेखक अब हतप्रभ हैं ,आज सृजन  खतरे में है
    उठो जवानो जागो     तुम ,आज      वतन खतरे में है

    काश्मीर में    आग लगी    है ,       गौहाटी     थर्राई है
    मुंबई    में विस्फोट   हुए     हैं ,दिल्ली   भी घबराई है
    देवदार ,सागौन    जले   ,आज    पवन   खतरे    में है
    उठो जवानो जागो तुम , आज वतन      खतरे में है -  नित्यानंद `तुषार`

    आप इसे क्या कहोगे

     आप इसे क्या कहोगे
           मेरी ये ग़ज़ल मेरे ग़ज़ल संग्रह सितम कि उम्र छोटी है में प्रकाशित हुई थी .ये संग्रह १९९६ में प्रकाशित हुआ था
    संग्रह बहुत पसंद किया  गया ,हज़ारों कापियां बिकीं, चार बार छप चुका है और अब पांचवी  बार छप कर आएगा 
    दुष्यंत कुमार जी के संग्रह साए में धूप के बाद पाचवीं बार छपने वाला संभवतया ये पहला संग्रह है ,
    पाठकों के इस सहयोग के लिये सभी क़ा धन्यवाद
    .इस  संग्रह  की  पहली  ग़ज़ल  के  कुछ  शे`र  नीचे  दे  रहा  हूँ  
    मेरा अपना तजुर्बा है ,इसे सबको बता देना
    हिदायत से तो अच्छा है किसी को मशवरा देना
    अभी हम हैं हमारे बाद भी होगी हमारी बात,
    कभी मुमकिन नहीं होता  किसी को भी मिटा देना
    मेरी हर बात पर कुछ देर तो वो चुप ही रहता है ,
    मुझे मुश्किल में रखता है फिर उसका मुस्कुरा देना - नित्यानंद `तुषार`
    अब आपको एक सूचना दे रहा हूँ कि मोस्ट पोपुलर , यूथ पोएट ,सेलेब्रिटी पोएट कहे जाने वाले ,एक कवि?ने iit खरगपुर के स्प्रिग्फेस्ट नामक कार्यक्रम के कवि सम्मेलन में ये रचना पढ़ीअपनी नई रचना बताते हुए
    मेरा अपना तजुर्बा है ,तुम्हे बतला रहा हूँ में 
    कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हूँ में
     आप पहले ये रचना पढ़ ले और फिर उसी रचना को उन्ही कवि?के मुख से अपनी बताते हुए सुन लें  और फिर आप लोग बताएं कि ये क्या है और मुझे अब क्या करना चाहिए
    आप लोग you tube पर spring fest 2011 डालकर search करें और पार्ट 6 में मेरा अपना तजुर्बा सुन लें और हक़ीक़त से रूबरू हों .

    Monday, January 31, 2011

    इन जैसों को वो वहाँ कभी घुसने भी नहीं देते.

    face book पर मेरी टिप्पणी के ऊपर एक नवयुवक ने कुछ जिज्ञ्यासा के साथ अपने विचार लिखे  उनको जो उत्तर लिखा वो आपके लिये भी प्रस्तुत है उसका कारण है कि आप भी सच से वाकिफ हो सकें
    राहुल सागर  जी, आपने लिखा है की 24 घंटे गुलामी की भाषा में जीते हैं ये उचित नहीं है ,में भी एक इंजिनियर हूँ और इस नाते जानता हूँ कि इंजीनियरिंग की सारी किताबें इंग्लिश में ही हैं ,इंग्लिश की किताबें पढना उनकी विवशता है ,कारण , हिंदी में किताबें है ही नहीं ,अगर वे इंग्लिश  की किताबें न पढ़ें तो देश में  न मेट्रो चले ,न कोई पुल बने और जाने क्या -क्या न हो
     वे भी हिंदी से उतना ही प्रेम करते हैं जितना कि आप और में, और इसी हिंदी प्रेम के कारण वो उनकी बकवास सुनते हैं ,सुनने क़ा कारण ये है की उन्हें हिंदी के वास्तविक कवियों क़ा पता ही नहीं है ,इनका पता इसलिए लगा है की इन्होने अपनी मार्केटिंग  टीम द्वारा अपना नाम वहाँ तक पहुंचवाया है .इन्होने हिंदी पर कोई उपकार नहीं किया  बल्कि हिदी क़ा चेहरा शर्म से नीचे झुका दिया है.अपनी अश्लील, अमर्यादित और शर्मनाक टिप्पणियों से हिदी ,हिंदी कविता ,और हिंदी कवियों की बेज्ज़ती कराई है ,इन्होने भावी engineers के मष्तिष्क को विकृत दिशा में मोड़ने में कोई    कसर नहीं छोड़ी है और ये सब इन्होने सिर्फ़ अपनी स्वार्थ सिद्धी के लिये किया है , वाहियात और निंदनीय बातें करके देश की शीर्ष संस्थाओं से लाखों रुपयों की वसूली की है ,अगर iitans ,और दूसरी संस्थाएं अच्छे कवियों से वाकिफ़ होते  तो इन जैसों को वो वहाँ कभी घुसने भी नहीं देते.
    आप इनकी मार्केटिंग टीम द्वारा प्रचारित बातों के कारण भ्रम में हैं ,पर आप कम आयु होने के बावजूद इन बातों पर सोच रहे हैं इसलिए ये सुखद है, जैसे-जैसे आप परिपक्व होंगे आप सब चालाकियां समझ जायेंगे.

    Friday, January 28, 2011

    जो शख्स मंच पर जाने लायक ही नहीं है उसे मंच क़ा संचालन करने देते हैं

    fb पर एक मित्र ने मुझे आज, कल(29 .1 .2011  ) को the clleradges  होटल सूरजकुंड एन सी आर ,दिल्ली, में होने वाले कवि सम्मेलन में मुझे निमंत्रित  किये जाने पर बधाई दी और उन्होंने ख़ुद अपने लिये ये भी लिखा की छोटा मोटा कवि तो में भी हूँ इस पर मैंने जो उत्तर लिखा उसे आप लोगों के समक्ष भी रख रहा हूँ
    @मनोज जी बधाई के लिये धन्यवाद .
    कोई छोटा नहीं है , कोई बड़ा नहीं है , आज जिसको बड़ा या मोस्ट पोपुलर प्रचारित किया जा रहा है वो कविता से नावाकिफ़ है ,ग़ज़ल भी नहीं जानते , पर दुबई ,और न जाने कहाँ - कहाँ जाकर हिंदुस्तान क़ा प्रतिनिधित्व भी कर आते हैं ,(इसमें हिंदुस्तान की  कविता और कवियों कि कितनी बेज्ज़ती होती है इस पर अभी कम लोगों क़ा ही ध्यान है),,वही हिंदी के तथाकथित कवि ?,जो चार पंक्ति कि कविता की  तीन तुकें भी ठीक से नहीं मिला पाते हैं और उसी अशुद्ध कविता को बहुत मगरुर होकर पढ़ते हैं.ग़ज़ल के ग़लत काफिये मिलाते हैं ,ग़ज़ल की एक भी शर्त  नहीं जानते और फिर भी वो मुशायरे में न केवल पहुँचते हैं बल्कि अकड़कर बैठते हैं.इसमें उनकी खता नहीं है ,ये खता तो उन्हें बुलाने वालों की है कि जो शख्स मंच पर जाने लायक ही नहीं है उसे मंच क़ा संचालन करने देते हैं और उसकी बकवास सुनते हैं .उन्हें भी जब बड़ा , ग्रेट , सेलेब्रिटी ,और न जाने क्या - क्या उनकी मार्केटिंग टीम द्वारा कहा और लिखा जा रहा हैऔर ऐसे ही प्रचार से भ्रमित होकर students भेड़ चाल  की तरह fan भी बन जाते हैं  तो ऐसे आलम में क्या छोटा और क्या बड़ा . आशा है आप अब मेरी बात समझ गए होंगे
    आप सभी के लिये मेरा एक शेर
    आप सबसे मिला जुला करिए
    कोई छोटा बड़ा नहीं  होता
    फिर मिलेंगे ..

    Thursday, January 27, 2011

    बहुत बदनाम है वो शख्स , उसका नाम हम क्यूँ लें - नित्यानंद `तुषार`

               अभी किसी ने बताया है , एक आइटम सोंग ......जवानी .....सोलह लाख बार डाउन लोड किया गया है. क्या आप इसे साहित्य मान लेंगे ? यदि कोई चार पंक्ति की कविता ? की तीन तुकें भी ठीक से नहीं मिला पlता हो,और उसी अशुद्ध कविता को वो बहुत मगरुर होकर प्रस्तुत करे , और उसके बारे में ये दावा किया जाये की ये चार पाँच लाख बार डाउन लोड की गई है, तो क्या उसे साहित्य माना जा सकता है ?
    यही बात कालेज में पढने वालों  और उन्हें बहकाने वालों  की समझ में नहीं आ पा रही है, इसी प्रचार से भ्रमित होकर यदि कुछ टी वी चैनल वाले किसी को कवि समझने की ग़लत फहमी पाल लें और ऐसा करने वाले को अपने चैनल पर महान कवि के रूप में प्रचारित करें तो इसे क्या कहा जाये ?शेर ओ शायरी ऑरकुट कि कम्युनिटी  पर किसी ने प्रश्न किया कि ऐसा करने वाले क़ा नाम लीजिये ,उसके उत्तर में ये  शे`र लिखा गया आप भी आनंद उठाएं .
     
    बहुत बदनाम है वो शख्स , उसका नाम हम क्यूँ लें
    नज़र जब बात  करती हो , ज़बां से काम हम क्यूँ लें     -  नित्यानंद `तुषार

    Wednesday, January 26, 2011

    क्या ये भारतीय कविता और कवियों का अपमान नहीं है ? - नित्यानंद `तुषार`

            जो आदमी अपनी चार लाइन की कविता? की तीन तुक भी ठीक से नहीं मिला सकता उस आदमी की जगह क्या टीवी चैनल पर विशिष्ट कवि के रूप में होनी चाहिए.
    .उसी कवि ? को देश क़ा   एक बड़ा समाचार पत्र भारतीय कवि के रूप में प्रतिनिधित्व करने के लिये एक दूसरे देश में भेजे या वो कवि वेशधारी तुक्कड़ ही ऐसा कराने में कामयाब हो जाये तो ...क्या ये भारतीय कविता और वास्तविक कवियों     का     अपमान नहीं है

    तुम्हें खूबसूरत नज़र आ रहीं हैं
    ये राहें तबाही के घर जा रहीं हैं - नित्यानंद `तुषार`

    Saturday, January 8, 2011

    हमेशा पास रहते हैं मगर पल-भर नहीं मिलते----नित्यानंद `तुषार

    हमेशा पास रहते हैं मगर पल-भर नहीं मिलते
    बहुत चाहो जिन्हें दिल से वही अक्सर नहीं मिलते

    ज़रा ये तो बताओ तुम हुनर कैसे दिखाएँ वो
    यहाँ जिन बुत-तराशों   को सही पत्थर नहीं मिलते

    हमें ऐसा नहीं लगता यहाँ पर वार भी होगा
    यहाँ के लोग हमसे तो कभी हँसकर नहीं मिलते

    हमारी भी तमन्ना थी उड़ें आकाश में लेकिन
    विवश होकर यही सोचा सभी को पर नहीं मिलते

    ग़ज़ब का खौफ छाया है हुआ क्या हादसा यारो
    घरों से आजकल बच्चे हमें बाहर नहीं मिलते

    हकीकत में उन्हें पहचान अवसर की नहीं कुछ भी
    जिन्होंने ये कहा अक्सर, हमें अवसर नहीं मिलते

    Wednesday, January 5, 2011

    समर्पण हो अगर पूरा, तो पत्थर भी पिघलते हैं ----नित्यानंद `तुषार

    एक भाव,दो रंग
    पहाड़ों से गुज़रते हैं,तभी झरने निकलते हैं
    पसीना जो बहाते हैं,उन्हीं के दिन बदलते हैं
    तुम्हें मुमकिन न लगता हो,मगर मेरा तजुर्बा है
    समर्पण हो अगर पूरा, तो पत्थर भी पिघलते हैं
    *
    पहाड़ों से गुज़रते हैं,तभी झरने निकलते हैं
    पसीना जो बहाते हैं,उन्हीं के दिन बदलते हैं
    तुम्हें मुमकिन न लगता हो, मगर मेरा ये अनुभव है
    अगर पूरा समर्पण हो, तो पत्थर भी पिघलते हैं ----नित्यानंद `तुषार