Thursday, December 6, 2012

क़लम को सर कलम होने का कोई डर नहीं होता - - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिए ख़ास तौर पर अपना एक शे`र प्रस्तुत कर रहे हैं - -

उसे जो लिखना होता है,वही वो लिख के रहती है
क़लम को सर कलम होने का कोई डर नहीं होता - - नित्यानंद `तुषार`

नोट - जो लोग क़लम को पुर्लिंग समझते हैं वो इस शे`र को यूँ पढने का कष्ट करें.

उसे जो लिखना होता है, वही वो लिख के रहता है
...
क़लम को सर कलम होने का कोई डर नहीं होता - - नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787.

उठो जवानो जागो तुम , आज वतन खतरे में है - नित्यानंद `तुषार`

अपने किराये के आदमियों से खुद को सेलेब्रिटी कहलवाने वाले कवि? जिसे तुकांत मिलाने की भी समझ नहीं है ,और जो अन्ना आन्दोलन में झंडा उठाकर अन्ना के साथ चिपका रहा,उसने हमारी ग़ज़ल की पंक्ति
मेरा अपना तजुर्बा है ....को अपनी रचना बताते हुए iit kharagpur के spring fest में आयोजित ,कवि सम्मेलन में गाया,हमारी एक और ग़ज़ल,दिल समझे या ना समझे समझाना पड़ता है को इस रूप में ``खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है`` ,के र...
ूप में गाया और हमारी ग़ज़ल के सेंट्रल आईडिया को M N I T पटना में कविता सुनाने से पूर्व भूमिका में बोला उस साहित्यिक चोर को देश के कुछ अखबार अपने कवि सम्मलेन नामक कार्यक्रमों में निमंत्रित कर रहे हैं.

जिन अखबार वालों को दुनिया की हर खबर पता हैं उनको इस साहित्यिक चोर की साहित्यिक चोरी क्यूँ नहीं पता है? ,और यदि पता है तो इस बात को वे अखबार अपने पाठकों से क्यूँ छिपाए हुए हैं? ,क्या इन अख़बारों के पास इस सवाल का कोई जवाब है ?

...और हैरत की बात ये है कि कई राजनेताओं को भ्रष्टचारी बताने वाले अरविन्द केजरीवाल ने इस साहित्यिक चोर को अपने साथ लगा रखा है ,आखिर क्यूँ ,क्या साहित्यिक भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार ,नहीं है जिससे लाखों रूपये की उगाही इस साहित्यिक चोर द्वारा की जा रही है,अरविन्द केजरीवाल को इस साहित्यिक चोर का भ्रष्टाचार क्यूँ नहीं दिखता ? .

हमें अपने एक गीत की कुछ पंक्तियाँ अचानक याद आ गईं हैं जिन्हें हम आपके लिये प्रस्तुत कर रहे हैं

आज धरा खतरे में है ,आज गगन खतरे में है
उठो जवानो जागो तुम, आज वतन खतरे में है

मौलिकता क़ा मोल नहीं है , चोर यहाँ सम्मानित हैं
बुद्धि ,पतिभा ,मेधा , कौशल ये सब तो अपमानित हैं

कवि , लेखक अब हतप्रभ हैं ,आज सृजन खतरे में है
उठो जवानो जागो तुम ,आज वतन खतरे में है

काश्मीर में आग लगी है , गौहाटी थर्राई है
मुंबई में विस्फोट हुए हैं ,दिल्ली भी घबराई है

देवदार ,सागौन जले ,आज पवन खतरे में है
उठो जवानो जागो तुम , आज वतन खतरे में है - नित्यानंद `तुषार`

Tuesday, October 2, 2012

तुमने दिल में मेरे, तूफ़ान उठा रक्खा है - -नित्यानंद `तुषार`


प्रारम्भ प्रकाशन ,गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित
हमारे नवीनतम ग़ज़ल संग्रह
`तेरे बग़ैर` जो कि हमारा छठवाँ ग़ज़ल संग्रह है,से एक ग़ज़ल आपके लिये .

ग़ज़ल
अपने जज़्बात को उसमें ही सजा रक्खा है
तुझको देना है जो ख़त, कब से लिखा रक्खा है

क्यूँ न देखूँ मैं तुम्हें, इतना बता दो मुझको
तुमने दिल में मेरे, तूफ़ान उठा रक्खा है

तू किसी और का होने का न वादा करना
मैंने आँखों में तेरा ख़्वाब सजा रक्खा है

क्या बिगड़ता है तुम्हारा जो तुम्हें देखूँ मैं
तुमने चेहरे को क्यूँ हाँथों में छुपा रक्खा है

तुमको एहसास नहीं है अभी मेरे दिल का
कितने सालों से मुझे तुमने जगा रक्खा है

एक लम्हा है वो जिसमें कि मिले थे हम तुम
मैंने आँखों में उसे अब भी बसा रक्खा है

क्या ग़लत है जो कोई तोड़ दे दुनिया के नियम
तुमको कुदरत ने भी फ़ुर्सत में बना रक्खा है
- -नित्यानंद `तुषार` + 91 9927800787

Monday, October 1, 2012

उसने प्रेम को जिया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज प्रेम कविता का एक और रंग, आपके लिये

उसका कहना है कि
किसी से लोग किसी स्वार्थ,purpose ,profit के लिये मिलते हैं
वो ऐसा इसलिए कहती है कि
उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
यदि उसने सच में प्रेम किया होता ,और दिल से किया होता
तो वो ऐसा नहीं कहती
वो ऐसा नहीं सोचती

वो हमेशा दिमाग़ से चलती है
वो आज से 23 वर्ष पूर्व ये कहती थी
`My heart cannot dominate my brain`
और वो आज भी यही कहती है
उन्हीं का दिल दिमाग़ को डोमिनेट नहीं कर पाता
जो प्यार करने में असमर्थ होते हैं
वो आज भी उस बंजर दिमाग़ से ही संचालित है
जहाँ प्रेम का अंकुर नहीं फूटता
वह कोमल एहसास जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं है ,
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
`I also love you`
कहने से ही नहीं हो जाता प्रेम
प्रेम के लिये चाहिए
एहसास भरा दिल
दिमाग़ को dominate करने वाला दिल
एक अटूट विश्वास
गहरा समर्पण
दूसरे की भावनाएं समझने और उनकी केयर करने की असाधारण क्षमता
किसी के लिये कुछ कर गुजरने का जज़्बा ,
जो कि उसके पास है ही नहीं
इसीलिए उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
जब भी फ़ोन पर वार्ता के दौरान मिलने का प्रस्ताव दिया
उसने नये- नये बहाने बना दिये
एक दिन बहुत ज़ोर डालने पर
उसने बस इतना ही कहा कि मेरी कुछ शंकाएं हैं
वो जानती ही नहीं कि प्रेम में शंकाओं की कोई जगह होती ही नहीं ,
जो दिल से प्रेम करते हैं
वो किसी को धोखा देने की बात सोच भी नहीं सकते
पर वो ये जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

प्यार के पेड़ को हरा रखना - -नित्यानंद `तुषार`

वक़्त के साथ मत बदल जाना
प्यार के पेड़ को हरा रखना - -नित्यानंद `तुषार`

In Roman

Vaqt Ke Saath Mat Badal Jana
Pyaar Ke Ped Ko Hara रखना - -Er. NITYANAND `TUSHAR`
+91 9927800787

तुम से मिलकर बदल गई दुनिया - - नित्यानंद `तुषार`

तुममें क्या है, बता नहीं सकते
तुम से मिलकर बदल गई दुनिया - - नित्यानंद `तुषार`

IN ROMAN

Tummein Kya Hai, Bata Nahin Sakte
Tumse Milkar Badal Gayee Duniya - -Er. NITYANAND `TUSHAR`,+91 9927800787

तुम खूबसूरत हो- -नित्यानंद `तुषार`

आप हमारी ग़ज़लें पढ़ते आए हैं ,
आज एक गीत आपके लिये

गीत

... तुम खूबसूरत हो
मेरी ज़रुरत हो

तुम ही हँसी हो मेरी
तुम ही ख़ुशी हो मेरी

इन धडकनों में तुम हो
तुम ज़िन्दगी हो मेरी

जो ख़वाब देखा है ,
उसकी हक़ीक़त हो
तुम ख़ूबसूरत हो...........

तुम भावना हो मेरी
तुम साधना हो मेरी
तुम हो तपस्या मेरी
आराधना हो मेरी

विश्वास कर लो तुम
मेरी इबादत हो
तुम खूबसूरत हो .........

हर बात में हो तुम ही
दिन, रात में हो तुम ही
अब सोच में भी तुम हो
जज़्बात में हो तुम ही

तुम ही मेरी मंज़िल,
मेरी मुहब्बत हो
तुम खूबसूरत हो .............नित्यानंद `तुषार`
ई मेल ntushar63@gmail.com

वे लोग जो पत्थर होते हैं, वो प्रेम नहीं कर पाते- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये कविता का एक अलग रंग,

वे लोग जो पत्थर होते हैं,

वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो प्रेम नहीं कर पाते
बाक़ी वो सब कुछ करते हैं
बस
प्रेम नहीं करते
भावना विहीन होते हैं

वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो अपनी मर्ज़ी से किसी को फ़ोन करते हैं
किसी से प्रेम करते हैं (झूटा)
और जब कोई भावुक होकर उनसे ,
दिल की गहराई से बहुत कोमल क्षणों में,
`i love you`, कहता है तो वे यह भी कहते हैं
`i also love you`
फिर कुछ दिन बाद वो उससे मुकरने लगते हैं
हद यहाँ तक होती है कि
वो कहते हैं कि हमने तो ऐसा कहा ही नहीं
और यदि ऐसा कहा भी तो वो गल्ती थी
वे लोग जो पत्थर होते हैं, अस्थिर होते हैं
यह अस्थिरता अवसरानुकूल होती है
वे लोग जो पत्थर होते हैं
किसी निश्छल प्रेम करने वाले के
किसी जगह मुलाक़ात के प्रस्ताव पर
ऐसा भी कहते हैं कि
`we are not in teen age ,we are in fifties,
now we are matured.`
मिलने का कोई purpose होता है ,कोई स्वार्थ, कोई प्रोफिट ......
जब ऐसा कुछ है ही नहीं तो मिलने से क्या फ़ायदा....
वे लोग, जो पत्थर होते हैं,
हर बात में ,यहाँ तक की प्रेम में भी फ़ायदा ,स्वार्थ, और profit ढूँढते हैं
ऐसे लोग ख़ुद को मैच्योर्ड कहते हैं
पर मेरी दृष्टि में आधुनिक सन्दर्भ में मैच्योर्ड का अर्थ है
दूसरे को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करना
और ख़ुद को बहुत खरा और चरित्रवान दर्शाते रहना
वे लोग, जो पत्थर होते हैं वे ये सब अत्यधिक कुशलता से कर लेते हैं
बस वे किसी से सच्चे दिल से प्रेम ही नहीं कर पाते
वे लोग, जो पत्थर होते, मैच्योर्ड होते हैं - - नित्यानंद `तुषार`

किसी को चाहने वाले बड़ी मुश्किल से मिलते हैं - - नित्यानंद `तुषार`

अगर ठुकरा दिया हमको बहुत पछताओगे इक दिन
किसी को चाहने वाले बड़ी मुश्किल से मिलते हैं - - नित्यानंद `तुषार`

जो, जिंदा हैं तो क्यूँ अकडें ,अकड़ मुर्दों में होती है - -नित्यानंद `तुषार`

कुछ अयोग्य लोग सरकारी पैसे पर हिन्दी सम्मेलनों में हिन्दी के नाम पर विदेश में मौज कर रहे हैं ,कुछ जोड़ तोड़ विहीन लोग देश में ही रह कर हिन्दी साहित्य के भण्डार में श्रीवृद्धी कर रहे हैं,

खैर ,ये शे`र पढ़िए -

अगर ये हो सके मुमकिन ,उन्हें इतना ही बतला दो
जो, जिंदा हैं तो क्यूँ अकडें ,अकड़ मुर्दों में होती है - -नित्यानंद `तुषा
र`

तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

आज फिर आपके लिये
चार - चार पंक्तियाँ

1.
मेरी सोचों में भी तुम हो ,मेरी बातों में भी तुम हो
मेरे सपनों में भी तुम हो ,मेरी आँखों में भी तुम हो
तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है
मेरी धड़कन में भी तुम हो ,मेरी साँसों में भी तुम हो

2

अभी बिगड़ी हुई तकदीर को मैंने सँवारा है
तुम्हारा फूल सा चेहरा, अभी दिल में उतारा है
मेरी आवाज़ सुनकर लौट आओ -लौट आओ तुम
बहुत उम्मीद से जानम,तुम्हें मैंने पुकारा है

3.
जहाँ की हर ख़ुशी आख़िर मेरे क़दमों में आई है
मुझे लगता है अब क़िस्मत भी मुझ पर मुस्कुराई है
तुझे जब पा लिया मैंने ,उजाले मिल गए मुझको
तेरी नज़दीकियों ने ही मेरी क़ीमत बढ़ाई है

4.
तेरी तस्वीर है दिल में, वो सुन्दर है, सुहानी है
तेरी ख़ुशबू है साँसों में ,तेरी ये भी निशानी है
कभी तुझसे मिला था मैं ,मगर अब दूर हूँ तुझसे
तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

इश्क़ की इंतिहा हो गई- -नित्यानंद `तुषार`

आज

आपके लिये
एक ग़ज़ल प्रस्तुत है.

ग़ज़ल

इश्क़ की इंतिहा हो गई
एक सूरत ख़ुदा हो गई

उनसे जैसे ही नज़रें मिलीं
ज़िन्दगी ख़ुशनुमा हो गई

उनको पाना करिश्मा हुआ
बददुआ भी दुआ हो गई

ये मुहब्बत भी क्या चीज़ है
धीरे-धीरे नशा हो गई

जो हुआ भूल जाओ `तुषार`
उनकी सीरत पता हो गई - -नित्यानंद `तुषार`+ 91 9927800787

कोई रिश्ता ही अब जिंदा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये हमारे नवीनतम ग़ज़ल संग्रह ``तेरे बग़ैर ` से ये ग़ज़ल
ये ग़ज़ल प्रकाशन विभाग की पत्रिका `आजकल` , (हिन्दी) में पूर्व में प्रकाशित हो चुकी है .

ग़ज़ल

तेरी आँखों ने कुछ देखा नहीं है
ज़माने में कोई अपना नहीं है

मेरी खामोशी सब कुछ कह रही है
मुझे अब और कुछ कहना नहीं है


तमन्ना ने बहुत आँसू दिये हैं
मेरी आँखों में अब सपना नहीं है

ग़लत ठहरा रहा है तू मुझे क्यूँ
मुझे तू आज तक समझा नहीं है

कोई आख़िर यहाँ आए भी कैसे
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है

ज़माने को हुआ क्या है बताओ
जो सच्चा है ,वो अब अच्छा नहीं है

न जाने किस हवा में जी रहे हैं
कोई रिश्ता ही अब जिंदा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`
+91 9927800787 (शजर -पेड़)

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार` .

आज एक और रंग आपके लिए

जिसे दूर रहकर भी मैं जी रहा था
जिसकी ख़ुशबू से मैं हर समय भीगा रहता था
जिसके लिये मैं तब जगता था जब दुनिया सो जाती थी
जिसके लिये मैं कई -कई घंटे तपती सड़क पर
तेज़ धूप में खड़ा रहता था
जिसे महसूस करने के लिये ,देखने के लिये
मैं बारिश में भीगता रहता था
होस्टल से निकलकर ठिठुरती सर्दी में

उसी सड़क पर आ जाता था,
जो सड़क उसके स्कूल और घर को जोडती थी
और ऐसा तब भी होता था
जब तबीयत भी ख़राब होती थी
फिर वो शहर छूट गया
पर उसके प्रति लगाव नहीं छूटा
वो दूर रहकर भी मेरे साथ चलती रही
ज़िन्दगी रंग बदलती रही
साल दर साल गुज़रते गए
ये पता भी न था कि वो कहाँ हैं.
कभी मिलना भी होगा या नहीं
पर फिर भी उसकी यादें धूमिल नहीं हुईं
वो मेरे साथ चलती रही
फिर अचानक दो दशक से भी अधिक समय के बाद एक दिन
उसके बारे में facebook से पता लगा
उससे बातें हुई ,सब कुछ कहा सुना गया
अब फ़ोन आता है ,फ़ोन जाता है
मेरा हाल उसे और उसका हाल मुझे पता चल जाता है
पर मिलने की बात आते ही वह टाल जाती है
मैं हैरान हूँ
उसमें उस शख्स से मिलने कि ख्वाहिश ही नहीं
जो उसे तीस वर्ष से चाहता है
जो उसे सोचता रहा है, जो उसे जीता रहा है
जो उसे गीत ग़ज़ल कविताओं में चित्रित करता रहा है
उसे ख़ुद को पत्थर कहना अच्छा लगता है
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
जिसे लाखों लोग पढ़ते हैं ,
करोड़ों लोग टी वी पर सुनते हैं, देखते हैं
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
क्या उसकी किताब लेने से उसकी उँगलियाँ जल जातीं
वो शख्स जो उसे शायद अपनी अंतिम साँस तक भी नहीं भूल सकेगा
उसी के लिये, उससे मिलने के लिये उसके पास पाँच मिनट का भी वक़्त नहीं
जिसने अपनी ज़िंदगी के खूबसूरत तीस वर्ष उसे दे दिये
मैं सोच रहा हूँ कि ऐसा क्यूँ होता है
कोई ऐसा और कोई वैसा क्यूँ हो जाता है
मैं क्यूँ उसे भूल नहीं पाता और वो मेरी तरह क्यूँ नहीं सोच पाती
अगर सोच पाती तो,
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार` .

आजकल के रिश्तों में, ज़िन्दगी नहीं मिलती - - नित्यानंद `तुषार`

दोस्त हर क़दम पर हैं, दोस्ती नहीं मिलती
आजकल के रिश्तों में, ज़िन्दगी नहीं मिलती - - नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

सतरंगी शाम धीरे- धीरे ढल रही है- -नित्यानंद `तुषार`

अब
जब भी मैं, उसको फ़ोन मिलाता हूँ
ख़्यालों की नदी में डूब जाता हूँ
`Hi`,उसकी आवाज़ आती है
और वो ख़ामोश हो जाती है
मैं hello कहता हूँ

वह फिर भी ख़ामोश रहती है
मैं कहता हूँ कि तुम कुछ बोल नहीं रही हो
तुम ख़ुद को खोल नहीं रही हो
`i am listening you`
और वह फिर ख़ामोश हो जाती है
उस वक़्त ऐसा लगता है कि
सतरंगी शाम धीरे- धीरे ढल रही है
और वो एक परी की तरह मेरे ज़ेहन में चल रही है
मैं फिर कहता हूँ कि तुम कुछ तो बोलो
वह कहती है
`i am listening you`
और मैं सोचता हूँ कि जो राह उसे चुननी थी
अगर उसने सही समय पर, वह राह चुनी होती
मेरे और अपने दिल की आवाज़ सुनी होती
जो ख़्वाब एक शाम को
हम दोनों ने मिलकर बुना था
जब एक दूसरे की धडकनों को सुना था
अगर उसने सच में ही
मुझे सुना होता ,
मेरे और अपने दिल की आवाज़ को सुना होता
तो आज मेरी और उसकी धडकनों के बीच,
क्या कोई फ़ासला होता - -नित्यानंद `तुषार`

Sunday, September 30, 2012

song written by me -Nityanand Tushar

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया ,ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया
ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया

ख़त भी नहीं लिखे ,ढूंढा नहीं तुझे
पर होंठों से तेरा, क़िस्सा नहीं गया

उस दिन के बाद से, तुझसे नहीं मिले
पर आँखों से तेरा, चेहरा नहीं गया

तेरी हँसी हमें , तेरा बना गई

क्या आज भी तेरा , हँसना नहीं गया

तुझको भी क्या कभी, हम याद आए हैं ?
क्या रात में तेरा , जगना नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया ,ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया
ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया

ख़त भी नहीं लिखे ,ढूंढा नहीं तुझे
पर होंठों से तेरा, क़िस्सा नहीं गया

उस दिन के बाद से, तुझसे नहीं मिले
पर आँखों से तेरा, चेहरा नहीं गया

तेरी हँसी हमें , तेरा बना गई

क्या आज भी तेरा , हँसना नहीं गया

तुझको भी क्या कभी, हम याद आए हैं ?
क्या रात में तेरा , जगना नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया ,ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया
ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया

ख़त भी नहीं लिखे ,ढूंढा नहीं तुझे
पर होंठों से तेरा, क़िस्सा नहीं गया

उस दिन के बाद से, तुझसे नहीं मिले
पर आँखों से तेरा, चेहरा नहीं गया

तेरी हँसी हमें , तेरा बना गई

क्या आज भी तेरा , हँसना नहीं गया

तुझको भी क्या कभी, हम याद आए हैं ?
क्या रात में तेरा , जगना नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

वे लोग जो पत्थर होते हैं वो प्रेम नहीं कर पाते- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये कविता का एक अलग रंग,

वे लोग जो पत्थर होते हैं,

वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो प्रेम नहीं कर पाते
बाक़ी वो सब कुछ करते हैं
बस
प्रेम नहीं करते
भावना विहीन होते हैं
वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो अपनी मर्ज़ी से किसी को फ़ोन करते हैं
किसी से प्रेम करते हैं (झूटा)
और जब कोई भावुक होकर उनसे ,
दिल की गहराई से बहुत कोमल क्षणों में,
`i love you`, कहता है तो वे यह भी कहते हैं
`i also love you`
फिर कुछ दिन बाद वो उससे मुकरने लगते हैं
हद यहाँ तक होती है कि
वो कहते हैं कि हमने तो ऐसा कहा ही नहीं
और यदि ऐसा कहा भी तो वो गल्ती थी
वे लोग जो पत्थर होते हैं, अस्थिर होते हैं
यह अस्थिरता अवसरानुकूल होती है
वे लोग जो पत्थर होते हैं
किसी निश्छल प्रेम करने वाले के
किसी जगह मुलाक़ात के प्रस्ताव पर
ऐसा भी कहते हैं कि
`we are not in teen age ,we are in fifties,
now we are matured.`
मिलने का कोई purpose होता है ,कोई स्वार्थ, कोई प्रोफिट ......
जब ऐसा कुछ है ही नहीं तो मिलने से क्या फ़ायदा....
वे लोग, जो पत्थर होते हैं,
हर बात में ,यहाँ तक की प्रेम में भी फ़ायदा ,स्वार्थ, और profit ढूँढते हैं
ऐसे लोग ख़ुद को मैच्योर्ड कहते हैं
पर मेरी दृष्टि में आधुनिक सन्दर्भ में मैच्योर्ड का अर्थ है
दूसरे को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करना
और ख़ुद को बहुत खरा और चरित्रवान दर्शाते रहना
वे लोग, जो पत्थर होते हैं वे ये सब अत्यधिक कुशलता से कर लेते हैं
बस वे किसी से सच्चे दिल से प्रेम ही नहीं कर पाते
वे लोग, जो पत्थर होते, मैच्योर्ड होते हैं - - नित्यानंद `तुषार`
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तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है- -नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये
चार - चार पंक्तियाँ
1.
मेरी सोचों में भी तुम हो ,मेरी बातों में भी तुम हो
मेरे सपनों में भी तुम हो ,मेरी आँखों में भी तुम हो
तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है
मेरी धड़कन में भी तुम हो ,मेरी साँसों में भी तुम हो

2
अभी बिगड़ी हुई तकदीर को मैंने सँवारा है
तुम्हारा फूल सा चेहरा, अभी दिल में उतारा है
मेरी आवाज़ सुनकर लौट आओ -लौट आओ तुम
बहुत उम्मीद से जानम,तुम्हें मैंने पुकारा है

3.
जहाँ की हर ख़ुशी आख़िर मेरे क़दमों में आई है
मुझे लगता है अब क़िस्मत भी मुझ पर मुस्कुराई है
तुझे जब पा लिया मैंने ,उजाले मिल गए मुझको
तेरी नज़दीकियों ने ही मेरी क़ीमत बढ़ाई है

4.
तेरी तस्वीर है दिल में, वो सुन्दर है, सुहानी है
तेरी ख़ुशबू है साँसों में ,तेरी ये भी निशानी है
कभी तुझसे मिला था मैं ,मगर अब दूर हूँ तुझसे
तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

अब किसी की याद में कोई व्याकुल नहीं होता- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये एक और अलग रंग

अब प्रेम का अभिनय होता है
प्रेम नहीं होता
अब प्रेम टाइम पास है
एक साथ कई लोगों से प्रेम करते हैं लोग
अब का प्रेम कुछ अलग होता है
अब किसी के विरह में कोई पागल नहीं होता
अब किसी की याद में कोई व्याकुल नहीं होता
और अगर अब भी

कोई किसी के विरह में पागल होता है
किसी की याद में व्याकुल होता है तो
वह शर्तिया पागल होता है
अब यदि कोई किसी से
अलग हो जाए या कर दिया जाए तो
उसे सोचा नहीं जाता
उसकी जगह दूसरा आ जाता है
फिर वही खूबसूरत बातें दोहराईं जाती हैं
और
दिल भरने तक वही सबसे ख़ास होता है
जब उससे दिल भर जाता है
फिर यही सब किसी और के साथ किया जाता है ,
यही सब किसी और से कहा जाता है
अब ऐसे लोगों की बाहें ,आँखें और नींदें
कभी ख़ाली नहीं होतीं, कभी सूनी नहीं होतीं
कोई न कोई उनमें समाया रहता है
पर जो किसी को सच्चे दिल से,
रूह की गहराई से प्यार करता है ,
और उससे बिछड़ने पर ,उसे याद रखता है
चाहे बिछड़े हुए 23 बरस से अधिक ही क्यूँ न हो जाएँ
उसकी सोच में वही चेहरा होता है
जिससे उसे प्यार होता है
उसकी उमंगें कहीं गहरे दफ़्न हो जातीं हैं ,
उसकी आँखें, बाहें और नींदें ख़ाली हो जातीं हैं ,सूनी हो जातीं हैं
इसलिए दोस्तो कभी किसी से सच्चे दिल से ,रूह की गहराई से प्यार मत करना ,
टाइम पास करने के लिये प्यार का अभिनय करना ,
जब दिल भर जाए कोई और तलाश लेना
और फिर टाइम पास करने के लिये
मौज मस्ती के लिये वैसा ही प्यार करना जैसा आजकल होता है
यदि ,सच्चे दिल से,रूह की गहराई से प्यार किया तो
आँसू आँखों को अपना स्थाई घर बना लेंगे
आप तड़पेंगे और (जिनसे आपने सच्चे दिल से, रूह की गहराई से,
प्यार किया है) वो भरपूर मज़ा लेंगे - - नित्यानंद `तुषार`

उसने प्रेम किया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज प्रेम कविता का एक और रंग, आपके लिये

उसका कहना है कि
किसी से लोग किसी स्वार्थ,purpose ,profit के लिये मिलते हैं
वो ऐसा इसलिए कहती है कि
उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
यदि उसने सच में प्रेम किया होता ,और दिल से किया होता
तो वो ऐसा नहीं कहती
वो ऐसा नहीं सोचती

वो हमेशा दिमाग़ से चलती है
वो आज से 23 वर्ष पूर्व ये कहती थी
`My heart cannot dominate my brain`
और वो आज भी यही कहती है
उन्हीं का दिल दिमाग़ को डोमिनेट नहीं कर पाता
जो प्यार करने में असमर्थ होते हैं
वो आज भी उस बंजर दिमाग़ से ही संचालित है
जहाँ प्रेम का अंकुर नहीं फूटता
वह कोमल एहसास जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं है ,
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
`I also love you`
कहने से ही नहीं हो जाता प्रेम
प्रेम के लिये चाहिए
एहसास भरा दिल
दिमाग़ को dominate करने वाला दिल
एक अटूट विश्वास
गहरा समर्पण
दूसरे की भावनाएं समझने और उनकी केयर करने की असाधारण क्षमता
किसी के लिये कुछ कर गुजरने का जज़्बा ,
जो कि उसके पास है ही नहीं
इसीलिए उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
जब भी फ़ोन पर वार्ता के दौरान मिलने का प्रस्ताव दिया
उसने नये- नये बहाने बना दिये
एक दिन बहुत ज़ोर डालने पर
उसने बस इतना ही कहा कि मेरी कुछ शंकाएं हैं
वो जानती ही नहीं कि प्रेम में शंकाओं की कोई जगह होती ही नहीं ,
जो दिल से प्रेम करते हैं
वो किसी को धोखा देने की बात सोच भी नहीं सकते
पर वो ये जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार`

आज एक और रंग आपके लिए

जिसे दूर रहकर भी मैं जी रहा था
जिसकी ख़ुशबू से मैं हर समय भीगा रहता था
जिसके लिये मैं तब जगता था जब दुनिया सो जाती थी
जिसके लिये मैं कई -कई घंटे तपती सड़क पर
तेज़ धूप में खड़ा रहता था
जिसे महसूस करने के लिये ,देखने के लिये
मैं बारिश में भीगता रहता था
होस्टल से निकलकर ठिठुरती सर्दी में

उसी सड़क पर आ जाता था,
जो सड़क उसके स्कूल और घर को जोडती थी
और ऐसा तब भी होता था
जब तबीयत भी ख़राब होती थी
फिर वो शहर छूट गया
पर उसके प्रति लगाव नहीं छूटा
वो दूर रहकर भी मेरे साथ चलती रही
ज़िन्दगी रंग बदलती रही
साल दर साल गुज़रते गए
ये पता भी न था कि वो कहाँ हैं.
कभी मिलना भी होगा या नहीं
पर फिर भी उसकी यादें धूमिल नहीं हुईं
वो मेरे साथ चलती रही
फिर अचानक दो दशक से भी अधिक समय के बाद एक दिन
उसके बारे में facebook से पता लगा
उससे बातें हुई ,सब कुछ कहा सुना गया
अब फ़ोन आता है ,फ़ोन जाता है
मेरा हाल उसे और उसका हाल मुझे पता चल जाता है
पर मिलने की बात आते ही वह टाल जाती है
मैं हैरान हूँ
उसमें उस शख्स से मिलने कि ख्वाहिश ही नहीं
जो उसे तीस वर्ष से चाहता है
जो उसे सोचता रहा है, जो उसे जीता रहा है
जो उसे गीत ग़ज़ल कविताओं में चित्रित करता रहा है
उसे ख़ुद को पत्थर कहना अच्छा लगता है
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
जिसे लाखों लोग पढ़ते हैं ,
करोड़ों लोग टी वी पर सुनते हैं, देखते हैं
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
क्या उसकी किताब लेने से उसकी उँगलियाँ जल जातीं
वो शख्स जो उसे शायद अपनी अंतिम साँस तक भी नहीं भूल सकेगा
उसी के लिये, उससे मिलने के लिये उसके पास पाँच मिनट का भी वक़्त नहीं
जिसने अपनी ज़िंदगी के खूबसूरत तीस वर्ष उसे दे दिये
मैं सोच रहा हूँ कि ऐसा क्यूँ होता है
कोई ऐसा और कोई वैसा क्यूँ हो जाता है
मैं क्यूँ उसे भूल नहीं पाता और वो मेरी तरह क्यूँ नहीं सोच पाती
अगर सोच पाती तो,
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार` .

Sunday, September 16, 2012

Copyright

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Monday, August 6, 2012

Nityanand Tushar ON DABANG CHANNEL in BAHUT KHOOB.

प्रिय मित्रो,

आपको ये सूचना देते हुए हर्ष हो रहा है कि `दबंग चैनल` से प्राप्त सूचना के अनुसार, पिछले दिनों शूट किया गया हमारे काव्य पाठ का एपिसोड आगामी 7 अगस्त , मंगलवार को रात 9.30 मिनट पर`बहुत खूब टेलीकास्ट किया जायेगा,आशा है कि आपका स्नेह प्राप्त होगा और आप कार्यक्रम को अवश्य देखेंगे.

Dear friends,
information received from Dabang TV channel ,
Episode of my poems ,which was shot some time back for Dabang Channel,will be telecasted on 7 august, tuesday at 9.30 p.m.in BAHUT KHOOB`.I hope you shall enjoy it.

वो गुब्बारा फूट चुका है उसको ये मालूम है - -नित्यानंद `तुषार`

 Anna andolan ke ondhe munh girne par bahut kuchh likha ja raha hai,par hamare vichaar se mukhy karan ye hain
Is andolan mein andolan se zyada dhayaan logon ne khud ko project karne mein lagaya,
Anna bante to hain imandaar aur naitik aur ek sahityik chor kumar vishvash ko manch par saath bithhate hain to Anna ki asliyat janta jaan jati hai,Anna desh par marne ko bhushan batate hain par desh...par marte nahin, Anna aur unki team desh par marne ka natak kartee hai,to janta asliyat samajh jaatee hai,,Anna blog likhne vale ke register par hastakshar karke mukar jate hain tab janta Anna ke charitr ke bare mein jaan jati hai,Anna yun to Gandhi ji ki samaadhee par jate hain par camere par `ek hi mara` kahte hue pakde jate hain,to janta soch letee hai ki ye Gandhivadi nahi iski pravartee kuchh aur hai,Anna kahte hain` bolne vale bahut hain karne vala chahiye`, Anna khud jo kahte hain vo nahin karte ,Anna ne kaha tha jab tak lokpal nahi aata , chahe pran chale jayein, anshan jaree rahega par Anna apni baat par kayam nahi rahe, aakhir kisi ko aap kab tak murkh bana sakte hain ,ek sahityik chor tathakathit kavi Kumar Vishvash ne Anna andolan ke baad apne rate char gune kar diye ,aur Anna se jude dusare log bhi apne apne tarike se apna hit saadhne mein lag gaye is andolan ki aad mein, roz tv par aa-aakar, par ye bhool gaye ki janta ye sab dekh rahee hai aur usee ka parinaam hai ki janta ne in logon ko ab nakaar diya hai ,Anna ji is desh ki janta ko adhik din tak murkh nahi banaya ja sakta ,maal khao aap log aur janta vyarth mein aapke liye apna samay kharaab kare ab janta ko ye manjoor nahi hai AUR ANNA JI BHI SAMAJH GAYE HAIN KI KAATH KI HAANDI EK BAAR HI CHHDHTEE HAI.........

in pantktiyon ke saath baat samapt karte hain ,......................

उसका जादू टूट चुका है ,उसको ये मालूम है
जनमत उससे छूट चुका है उसको ये मालूम है
जिससे उसको ख्याति मिली और जग को बहकाया था
वो गुब्बारा फूट चुका है उसको ये मालूम है - -नित्यानंद `तुषार`