Wednesday, July 23, 2014

ग़ज़ल
 
मैं तुम्हारी हूँ ,कहा था तुमने
दिल को फिर ज़ख्म दिया था तुमने

मेरी बाहों में सिमट कर इक दिन
रेशमी ख़्वाब बुना था तुमने

आज जब लौट के आया हूँ मैं
याद है वो, जो ,कहा था तुमने

इक सज़ा काट रहा हूँ तुम बिन
मुझसे मुँह फेर लिया था तुमने

शाम का वक़्त रहा था उस दिन
हाथ, हाथों में लिया था तुमने

इश्क़ दम तोड़ रहा था जिस पल
दोस्त बनने को कहा था तुमने

क्यूँ तुम्हें याद नहीं आता ये
प्यार मुझसे ही किया था तुमने - -
नित्यानंद` तुषार`

कहीं भी दरख्तों की छाया नहीं है,
कड़ी धूप है, और लंबा सफ़र है
- -नित्यानंद `तुषार` 


 [ सितम की उम्र छोटी है ,ग़ज़ल संग्रह ,में प्रकाशित ]

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एक शे`र

कोई जादू असर नहीं करता
उसने ख़ुद को संभाल रक्खा है - -नित्यानंद `तुषार`

[ पाखी में प्रकाशित ]

Monday, July 21, 2014

जगमगाना है तो जलना सीखिए.- - नित्यानंद `तुषार`.

मुश्किलों से भी निकलना सीखिए ,
जगमगाना है तो जलना सीखिए.- - नित्यानंद `तुषार`.

जब, फिसलने की तमन्ना, हो, जवाँ
 उन दिनों में भी, संभलना सीखिए - - नित्यानंद `तुषार`.