Thursday, March 14, 2013

मर-मर के जीने की आदत डाल रहे हैं हम - -नित्यानंद `तुषार`

कैसे-कैसे खुद को आज संभाल रहे हैं हम
आँखों से सब सपने आज निकाल रहे हैं हम
जितनी साँसें बाक़ी हैं ,पूरी हो जायेंगी
मर-मर के जीने की आदत डाल रहे हैं हम - -नित्यानंद `तुषार`

कुदरत का करिश्मा हो तुम, मदहोश अदा है तुम में - -नित्यानंद `तुषार`


कुदरत का करिश्मा हो तुम, मदहोश अदा है तुम में
मैं डूब रहा हूँ जिसमें, वो ख़ास नशा है तुम में
तुम दूर न रह पाओगे, तुम पास चले आओगे
जो तुम को उड़ा लायेगी, वो तेज़ हवा है तुम में - -नित्यानंद `तुषार`

मैं तुमसे प्यार करता हूँ, न तुम मुझसे जुदा होना - -नित्यानंद `तुषार`


न टूटे जो कभी,तुम,प्यार का, वो सिलसिला होना
खयालों में भी जाने जाँ,न तुम मुझसे ख़फ़ा होना
मेरी हर साँस के ऊपर तुम्हारा नाम लिक्खा है
मैं तुमसे प्यार करता हूँ, न तुम मुझसे जुदा होना - -नित्यानंद `तुषार`

जानेजाँ क्यूँ बेरुख़ी से बात करती हो.- - नित्यानंद `तुषार`


ये सुना है हर किसी से बात करती हो
खिलखिलाकर अब खुशी से बात करती हो
एक हम हैं, आप पर हम जान देते हैं
जानेजाँ क्यूँ बेरुख़ी से बात करती हो.- - नित्यानंद `तुषार`

मैं मर- मर के भी जी लूँगा,मुझे अभ्यास है इसका - - नित्यानंद `तुषार`

मेरी परवा नहीं तुमको, मुझे एहसास है इसका
मुझे इगनोर कर दोगी,मुझे आभास है इसका
मेरी आँखों को तुमने आँसुओं से भर दिया है अब
मैं मर- मर के भी जी लूँगा,मुझे अभ्यास है इसका - - नित्यानंद `तुषार`

कभी लगता है, मेरे साथ वो दुनिया बसायेगी - -नित्यानंद `तुषार`

न खोना चाहती है वो, न पाना चाहती है वो
ये कहती है कि कुछ दूरी, बनाना चाहती है वो
कभी लगता है, मेरे साथ वो दुनिया बसायेगी
कभी लगता है, मुझसे दूर जाना चाहती है वो - -नित्यानंद `तुषार`

मुहब्बत पाक़ रिश्ता है,खुदा इसको बनाता है - -नित्यानंद `तुषार`

अचानक हमें अपने एक काफ़ी पुराने गीत (लगभग 20-25 वर्ष पूर्व) की कुछ पंक्तियाँ याद आ गईं हैं.

दिलों के बीच की दूरी इशारों से मिटाता है
मुहब्बत पाक़ रिश्ता है,खुदा इसको बनाता है
न जाने क्यूँ ज़माना बीच में दीवार बनता है
मगर जो प्यार करते हैं, दीवारें पार करते हैं
इसी को प्यार कहते हैं,इसी को प्यार कहते हैं- -नित्यानंद `तुषार`

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शहर में आदमी नहीं देखा - -नित्यानंद `तुषार`

कोई हिन्दू है कोई मुस्लिम है
शहर में आदमी नहीं देखा - -नित्यानंद `तुषार`

मीडिया सिर्फ़ वो दिखाता है जिसमें उसे फ़ायदा नज़र आता है - -नित्यानंद `तुषार`

मीडिया सिर्फ़ वो दिखाता है जिसमें उसे फ़ायदा नज़र आता है - -नित्यानंद `तुषार`