Sunday, September 30, 2012

song written by me -Nityanand Tushar

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया ,ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया
ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया

ख़त भी नहीं लिखे ,ढूंढा नहीं तुझे
पर होंठों से तेरा, क़िस्सा नहीं गया

उस दिन के बाद से, तुझसे नहीं मिले
पर आँखों से तेरा, चेहरा नहीं गया

तेरी हँसी हमें , तेरा बना गई

क्या आज भी तेरा , हँसना नहीं गया

तुझको भी क्या कभी, हम याद आए हैं ?
क्या रात में तेरा , जगना नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया ,ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया
ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया

ख़त भी नहीं लिखे ,ढूंढा नहीं तुझे
पर होंठों से तेरा, क़िस्सा नहीं गया

उस दिन के बाद से, तुझसे नहीं मिले
पर आँखों से तेरा, चेहरा नहीं गया

तेरी हँसी हमें , तेरा बना गई

क्या आज भी तेरा , हँसना नहीं गया

तुझको भी क्या कभी, हम याद आए हैं ?
क्या रात में तेरा , जगना नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया ,ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

तुझसे बिछड़ के मैं जिंदा नहीं गया
ग़म साथ थे मेरे ,तन्हा नहीं गया

ख़त भी नहीं लिखे ,ढूंढा नहीं तुझे
पर होंठों से तेरा, क़िस्सा नहीं गया

उस दिन के बाद से, तुझसे नहीं मिले
पर आँखों से तेरा, चेहरा नहीं गया

तेरी हँसी हमें , तेरा बना गई

क्या आज भी तेरा , हँसना नहीं गया

तुझको भी क्या कभी, हम याद आए हैं ?
क्या रात में तेरा , जगना नहीं गया - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

वे लोग जो पत्थर होते हैं वो प्रेम नहीं कर पाते- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये कविता का एक अलग रंग,

वे लोग जो पत्थर होते हैं,

वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो प्रेम नहीं कर पाते
बाक़ी वो सब कुछ करते हैं
बस
प्रेम नहीं करते
भावना विहीन होते हैं
वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो अपनी मर्ज़ी से किसी को फ़ोन करते हैं
किसी से प्रेम करते हैं (झूटा)
और जब कोई भावुक होकर उनसे ,
दिल की गहराई से बहुत कोमल क्षणों में,
`i love you`, कहता है तो वे यह भी कहते हैं
`i also love you`
फिर कुछ दिन बाद वो उससे मुकरने लगते हैं
हद यहाँ तक होती है कि
वो कहते हैं कि हमने तो ऐसा कहा ही नहीं
और यदि ऐसा कहा भी तो वो गल्ती थी
वे लोग जो पत्थर होते हैं, अस्थिर होते हैं
यह अस्थिरता अवसरानुकूल होती है
वे लोग जो पत्थर होते हैं
किसी निश्छल प्रेम करने वाले के
किसी जगह मुलाक़ात के प्रस्ताव पर
ऐसा भी कहते हैं कि
`we are not in teen age ,we are in fifties,
now we are matured.`
मिलने का कोई purpose होता है ,कोई स्वार्थ, कोई प्रोफिट ......
जब ऐसा कुछ है ही नहीं तो मिलने से क्या फ़ायदा....
वे लोग, जो पत्थर होते हैं,
हर बात में ,यहाँ तक की प्रेम में भी फ़ायदा ,स्वार्थ, और profit ढूँढते हैं
ऐसे लोग ख़ुद को मैच्योर्ड कहते हैं
पर मेरी दृष्टि में आधुनिक सन्दर्भ में मैच्योर्ड का अर्थ है
दूसरे को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करना
और ख़ुद को बहुत खरा और चरित्रवान दर्शाते रहना
वे लोग, जो पत्थर होते हैं वे ये सब अत्यधिक कुशलता से कर लेते हैं
बस वे किसी से सच्चे दिल से प्रेम ही नहीं कर पाते
वे लोग, जो पत्थर होते, मैच्योर्ड होते हैं - - नित्यानंद `तुषार`
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तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है- -नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये
चार - चार पंक्तियाँ
1.
मेरी सोचों में भी तुम हो ,मेरी बातों में भी तुम हो
मेरे सपनों में भी तुम हो ,मेरी आँखों में भी तुम हो
तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है
मेरी धड़कन में भी तुम हो ,मेरी साँसों में भी तुम हो

2
अभी बिगड़ी हुई तकदीर को मैंने सँवारा है
तुम्हारा फूल सा चेहरा, अभी दिल में उतारा है
मेरी आवाज़ सुनकर लौट आओ -लौट आओ तुम
बहुत उम्मीद से जानम,तुम्हें मैंने पुकारा है

3.
जहाँ की हर ख़ुशी आख़िर मेरे क़दमों में आई है
मुझे लगता है अब क़िस्मत भी मुझ पर मुस्कुराई है
तुझे जब पा लिया मैंने ,उजाले मिल गए मुझको
तेरी नज़दीकियों ने ही मेरी क़ीमत बढ़ाई है

4.
तेरी तस्वीर है दिल में, वो सुन्दर है, सुहानी है
तेरी ख़ुशबू है साँसों में ,तेरी ये भी निशानी है
कभी तुझसे मिला था मैं ,मगर अब दूर हूँ तुझसे
तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

अब किसी की याद में कोई व्याकुल नहीं होता- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये एक और अलग रंग

अब प्रेम का अभिनय होता है
प्रेम नहीं होता
अब प्रेम टाइम पास है
एक साथ कई लोगों से प्रेम करते हैं लोग
अब का प्रेम कुछ अलग होता है
अब किसी के विरह में कोई पागल नहीं होता
अब किसी की याद में कोई व्याकुल नहीं होता
और अगर अब भी

कोई किसी के विरह में पागल होता है
किसी की याद में व्याकुल होता है तो
वह शर्तिया पागल होता है
अब यदि कोई किसी से
अलग हो जाए या कर दिया जाए तो
उसे सोचा नहीं जाता
उसकी जगह दूसरा आ जाता है
फिर वही खूबसूरत बातें दोहराईं जाती हैं
और
दिल भरने तक वही सबसे ख़ास होता है
जब उससे दिल भर जाता है
फिर यही सब किसी और के साथ किया जाता है ,
यही सब किसी और से कहा जाता है
अब ऐसे लोगों की बाहें ,आँखें और नींदें
कभी ख़ाली नहीं होतीं, कभी सूनी नहीं होतीं
कोई न कोई उनमें समाया रहता है
पर जो किसी को सच्चे दिल से,
रूह की गहराई से प्यार करता है ,
और उससे बिछड़ने पर ,उसे याद रखता है
चाहे बिछड़े हुए 23 बरस से अधिक ही क्यूँ न हो जाएँ
उसकी सोच में वही चेहरा होता है
जिससे उसे प्यार होता है
उसकी उमंगें कहीं गहरे दफ़्न हो जातीं हैं ,
उसकी आँखें, बाहें और नींदें ख़ाली हो जातीं हैं ,सूनी हो जातीं हैं
इसलिए दोस्तो कभी किसी से सच्चे दिल से ,रूह की गहराई से प्यार मत करना ,
टाइम पास करने के लिये प्यार का अभिनय करना ,
जब दिल भर जाए कोई और तलाश लेना
और फिर टाइम पास करने के लिये
मौज मस्ती के लिये वैसा ही प्यार करना जैसा आजकल होता है
यदि ,सच्चे दिल से,रूह की गहराई से प्यार किया तो
आँसू आँखों को अपना स्थाई घर बना लेंगे
आप तड़पेंगे और (जिनसे आपने सच्चे दिल से, रूह की गहराई से,
प्यार किया है) वो भरपूर मज़ा लेंगे - - नित्यानंद `तुषार`

उसने प्रेम किया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज प्रेम कविता का एक और रंग, आपके लिये

उसका कहना है कि
किसी से लोग किसी स्वार्थ,purpose ,profit के लिये मिलते हैं
वो ऐसा इसलिए कहती है कि
उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
यदि उसने सच में प्रेम किया होता ,और दिल से किया होता
तो वो ऐसा नहीं कहती
वो ऐसा नहीं सोचती

वो हमेशा दिमाग़ से चलती है
वो आज से 23 वर्ष पूर्व ये कहती थी
`My heart cannot dominate my brain`
और वो आज भी यही कहती है
उन्हीं का दिल दिमाग़ को डोमिनेट नहीं कर पाता
जो प्यार करने में असमर्थ होते हैं
वो आज भी उस बंजर दिमाग़ से ही संचालित है
जहाँ प्रेम का अंकुर नहीं फूटता
वह कोमल एहसास जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं है ,
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
`I also love you`
कहने से ही नहीं हो जाता प्रेम
प्रेम के लिये चाहिए
एहसास भरा दिल
दिमाग़ को dominate करने वाला दिल
एक अटूट विश्वास
गहरा समर्पण
दूसरे की भावनाएं समझने और उनकी केयर करने की असाधारण क्षमता
किसी के लिये कुछ कर गुजरने का जज़्बा ,
जो कि उसके पास है ही नहीं
इसीलिए उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
जब भी फ़ोन पर वार्ता के दौरान मिलने का प्रस्ताव दिया
उसने नये- नये बहाने बना दिये
एक दिन बहुत ज़ोर डालने पर
उसने बस इतना ही कहा कि मेरी कुछ शंकाएं हैं
वो जानती ही नहीं कि प्रेम में शंकाओं की कोई जगह होती ही नहीं ,
जो दिल से प्रेम करते हैं
वो किसी को धोखा देने की बात सोच भी नहीं सकते
पर वो ये जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार`

आज एक और रंग आपके लिए

जिसे दूर रहकर भी मैं जी रहा था
जिसकी ख़ुशबू से मैं हर समय भीगा रहता था
जिसके लिये मैं तब जगता था जब दुनिया सो जाती थी
जिसके लिये मैं कई -कई घंटे तपती सड़क पर
तेज़ धूप में खड़ा रहता था
जिसे महसूस करने के लिये ,देखने के लिये
मैं बारिश में भीगता रहता था
होस्टल से निकलकर ठिठुरती सर्दी में

उसी सड़क पर आ जाता था,
जो सड़क उसके स्कूल और घर को जोडती थी
और ऐसा तब भी होता था
जब तबीयत भी ख़राब होती थी
फिर वो शहर छूट गया
पर उसके प्रति लगाव नहीं छूटा
वो दूर रहकर भी मेरे साथ चलती रही
ज़िन्दगी रंग बदलती रही
साल दर साल गुज़रते गए
ये पता भी न था कि वो कहाँ हैं.
कभी मिलना भी होगा या नहीं
पर फिर भी उसकी यादें धूमिल नहीं हुईं
वो मेरे साथ चलती रही
फिर अचानक दो दशक से भी अधिक समय के बाद एक दिन
उसके बारे में facebook से पता लगा
उससे बातें हुई ,सब कुछ कहा सुना गया
अब फ़ोन आता है ,फ़ोन जाता है
मेरा हाल उसे और उसका हाल मुझे पता चल जाता है
पर मिलने की बात आते ही वह टाल जाती है
मैं हैरान हूँ
उसमें उस शख्स से मिलने कि ख्वाहिश ही नहीं
जो उसे तीस वर्ष से चाहता है
जो उसे सोचता रहा है, जो उसे जीता रहा है
जो उसे गीत ग़ज़ल कविताओं में चित्रित करता रहा है
उसे ख़ुद को पत्थर कहना अच्छा लगता है
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
जिसे लाखों लोग पढ़ते हैं ,
करोड़ों लोग टी वी पर सुनते हैं, देखते हैं
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
क्या उसकी किताब लेने से उसकी उँगलियाँ जल जातीं
वो शख्स जो उसे शायद अपनी अंतिम साँस तक भी नहीं भूल सकेगा
उसी के लिये, उससे मिलने के लिये उसके पास पाँच मिनट का भी वक़्त नहीं
जिसने अपनी ज़िंदगी के खूबसूरत तीस वर्ष उसे दे दिये
मैं सोच रहा हूँ कि ऐसा क्यूँ होता है
कोई ऐसा और कोई वैसा क्यूँ हो जाता है
मैं क्यूँ उसे भूल नहीं पाता और वो मेरी तरह क्यूँ नहीं सोच पाती
अगर सोच पाती तो,
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार` .

Sunday, September 16, 2012

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