Sunday, September 30, 2012

तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है- -नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये
चार - चार पंक्तियाँ
1.
मेरी सोचों में भी तुम हो ,मेरी बातों में भी तुम हो
मेरे सपनों में भी तुम हो ,मेरी आँखों में भी तुम हो
तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है
मेरी धड़कन में भी तुम हो ,मेरी साँसों में भी तुम हो

2
अभी बिगड़ी हुई तकदीर को मैंने सँवारा है
तुम्हारा फूल सा चेहरा, अभी दिल में उतारा है
मेरी आवाज़ सुनकर लौट आओ -लौट आओ तुम
बहुत उम्मीद से जानम,तुम्हें मैंने पुकारा है

3.
जहाँ की हर ख़ुशी आख़िर मेरे क़दमों में आई है
मुझे लगता है अब क़िस्मत भी मुझ पर मुस्कुराई है
तुझे जब पा लिया मैंने ,उजाले मिल गए मुझको
तेरी नज़दीकियों ने ही मेरी क़ीमत बढ़ाई है

4.
तेरी तस्वीर है दिल में, वो सुन्दर है, सुहानी है
तेरी ख़ुशबू है साँसों में ,तेरी ये भी निशानी है
कभी तुझसे मिला था मैं ,मगर अब दूर हूँ तुझसे
तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

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