आज आपके लिये कविता का एक अलग रंग,
वे लोग जो पत्थर होते हैं,
वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो प्रेम नहीं कर पाते
बाक़ी वो सब कुछ करते हैं
बस
प्रेम नहीं करते
भावना विहीन होते हैं
वे लोग जो पत्थर होते हैं,
वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो प्रेम नहीं कर पाते
बाक़ी वो सब कुछ करते हैं
बस
प्रेम नहीं करते
भावना विहीन होते हैं
वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो अपनी मर्ज़ी से किसी को फ़ोन करते हैं
किसी से प्रेम करते हैं (झूटा)
और जब कोई भावुक होकर उनसे ,
दिल की गहराई से बहुत कोमल क्षणों में,
`i love you`, कहता है तो वे यह भी कहते हैं
`i also love you`
फिर कुछ दिन बाद वो उससे मुकरने लगते हैं
हद यहाँ तक होती है कि
वो कहते हैं कि हमने तो ऐसा कहा ही नहीं
और यदि ऐसा कहा भी तो वो गल्ती थी
वे लोग जो पत्थर होते हैं, अस्थिर होते हैं
यह अस्थिरता अवसरानुकूल होती है
वे लोग जो पत्थर होते हैं
किसी निश्छल प्रेम करने वाले के
किसी जगह मुलाक़ात के प्रस्ताव पर
ऐसा भी कहते हैं कि
`we are not in teen age ,we are in fifties,
now we are matured.`
मिलने का कोई purpose होता है ,कोई स्वार्थ, कोई प्रोफिट ......
जब ऐसा कुछ है ही नहीं तो मिलने से क्या फ़ायदा....
वे लोग, जो पत्थर होते हैं,
हर बात में ,यहाँ तक की प्रेम में भी फ़ायदा ,स्वार्थ, और profit ढूँढते हैं
ऐसे लोग ख़ुद को मैच्योर्ड कहते हैं
पर मेरी दृष्टि में आधुनिक सन्दर्भ में मैच्योर्ड का अर्थ है
दूसरे को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करना
और ख़ुद को बहुत खरा और चरित्रवान दर्शाते रहना
वे लोग, जो पत्थर होते हैं वे ये सब अत्यधिक कुशलता से कर लेते हैं
बस वे किसी से सच्चे दिल से प्रेम ही नहीं कर पाते
वे लोग, जो पत्थर होते, मैच्योर्ड होते हैं - - नित्यानंद `तुषार`
वो अपनी मर्ज़ी से किसी को फ़ोन करते हैं
किसी से प्रेम करते हैं (झूटा)
और जब कोई भावुक होकर उनसे ,
दिल की गहराई से बहुत कोमल क्षणों में,
`i love you`, कहता है तो वे यह भी कहते हैं
`i also love you`
फिर कुछ दिन बाद वो उससे मुकरने लगते हैं
हद यहाँ तक होती है कि
वो कहते हैं कि हमने तो ऐसा कहा ही नहीं
और यदि ऐसा कहा भी तो वो गल्ती थी
वे लोग जो पत्थर होते हैं, अस्थिर होते हैं
यह अस्थिरता अवसरानुकूल होती है
वे लोग जो पत्थर होते हैं
किसी निश्छल प्रेम करने वाले के
किसी जगह मुलाक़ात के प्रस्ताव पर
ऐसा भी कहते हैं कि
`we are not in teen age ,we are in fifties,
now we are matured.`
मिलने का कोई purpose होता है ,कोई स्वार्थ, कोई प्रोफिट ......
जब ऐसा कुछ है ही नहीं तो मिलने से क्या फ़ायदा....
वे लोग, जो पत्थर होते हैं,
हर बात में ,यहाँ तक की प्रेम में भी फ़ायदा ,स्वार्थ, और profit ढूँढते हैं
ऐसे लोग ख़ुद को मैच्योर्ड कहते हैं
पर मेरी दृष्टि में आधुनिक सन्दर्भ में मैच्योर्ड का अर्थ है
दूसरे को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करना
और ख़ुद को बहुत खरा और चरित्रवान दर्शाते रहना
वे लोग, जो पत्थर होते हैं वे ये सब अत्यधिक कुशलता से कर लेते हैं
बस वे किसी से सच्चे दिल से प्रेम ही नहीं कर पाते
वे लोग, जो पत्थर होते, मैच्योर्ड होते हैं - - नित्यानंद `तुषार`
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