Monday, March 21, 2011

तन के, मन के भावों पर भी अपना पूर्ण नियंत्रण है - - नित्यानंद तुषार


माना  काफ़ी  सुन्दर  हो ,तुममें अदभुत आकर्षण है
जितना चाहे होली खेलो  तुमको खुला निमंत्रण है

मेरे मन के अन्दर पावन गंगा का जल बहता है
टूट नहीं सकता जो तुमसे संयम का वो दर्पण है

जी भर कर तुम कोशिश कर लो विचलित ना कर पाओगी 
तन के, मन के भावों पर भी अपना पूर्ण नियंत्रण है - - नित्यानंद तुषार

यूँ  भी  पढ़  कर  आनंद  लें

 माना काफ़ी सुन्दर हो ,तुममें अदभुत आकर्षण है
जितना चाहे होली खेलो तुमको आज  निमंत्रण है

मेरे मन के अन्दर पावन गंगा क़ा जल बहता है
टूट नहीं सकता जो तुमसे संयम क़ा वो दर्पण है

जी भर कर तुम कोशिश कर लो विचलित ना कर पाओगी
तन के ऊपर ,मन के ऊपर अपना पूर्ण नियंत्रण है - - नित्यानंद तुषार

Wednesday, March 2, 2011

उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी - - नित्यानंद `तुषार`

उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी
उससे जब नज़रें मिलीं थीं वो घड़ी अच्छी लगी

उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा` तुम हो मेरे `
दिन गुलाबी हो गए ,ये ज़िन्दगी अच्छी लगी
...
पूछते हैं लोग मुझसे , उसमें ऐसा क्या है ख़ास
सच बताऊँ मुझको उसकी सादगी अच्छी लगी

कंपकंपाती उँगलियों से ख़त लिखा उसने `तुषार`
जैसी भी थी वो लिखावट वो बड़ी अच्छी लगी - - नित्यानंद `तुषार`