Sunday, September 30, 2012

अब किसी की याद में कोई व्याकुल नहीं होता- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये एक और अलग रंग

अब प्रेम का अभिनय होता है
प्रेम नहीं होता
अब प्रेम टाइम पास है
एक साथ कई लोगों से प्रेम करते हैं लोग
अब का प्रेम कुछ अलग होता है
अब किसी के विरह में कोई पागल नहीं होता
अब किसी की याद में कोई व्याकुल नहीं होता
और अगर अब भी

कोई किसी के विरह में पागल होता है
किसी की याद में व्याकुल होता है तो
वह शर्तिया पागल होता है
अब यदि कोई किसी से
अलग हो जाए या कर दिया जाए तो
उसे सोचा नहीं जाता
उसकी जगह दूसरा आ जाता है
फिर वही खूबसूरत बातें दोहराईं जाती हैं
और
दिल भरने तक वही सबसे ख़ास होता है
जब उससे दिल भर जाता है
फिर यही सब किसी और के साथ किया जाता है ,
यही सब किसी और से कहा जाता है
अब ऐसे लोगों की बाहें ,आँखें और नींदें
कभी ख़ाली नहीं होतीं, कभी सूनी नहीं होतीं
कोई न कोई उनमें समाया रहता है
पर जो किसी को सच्चे दिल से,
रूह की गहराई से प्यार करता है ,
और उससे बिछड़ने पर ,उसे याद रखता है
चाहे बिछड़े हुए 23 बरस से अधिक ही क्यूँ न हो जाएँ
उसकी सोच में वही चेहरा होता है
जिससे उसे प्यार होता है
उसकी उमंगें कहीं गहरे दफ़्न हो जातीं हैं ,
उसकी आँखें, बाहें और नींदें ख़ाली हो जातीं हैं ,सूनी हो जातीं हैं
इसलिए दोस्तो कभी किसी से सच्चे दिल से ,रूह की गहराई से प्यार मत करना ,
टाइम पास करने के लिये प्यार का अभिनय करना ,
जब दिल भर जाए कोई और तलाश लेना
और फिर टाइम पास करने के लिये
मौज मस्ती के लिये वैसा ही प्यार करना जैसा आजकल होता है
यदि ,सच्चे दिल से,रूह की गहराई से प्यार किया तो
आँसू आँखों को अपना स्थाई घर बना लेंगे
आप तड़पेंगे और (जिनसे आपने सच्चे दिल से, रूह की गहराई से,
प्यार किया है) वो भरपूर मज़ा लेंगे - - नित्यानंद `तुषार`

No comments: