Tuesday, October 2, 2012

तुमने दिल में मेरे, तूफ़ान उठा रक्खा है - -नित्यानंद `तुषार`


प्रारम्भ प्रकाशन ,गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित
हमारे नवीनतम ग़ज़ल संग्रह
`तेरे बग़ैर` जो कि हमारा छठवाँ ग़ज़ल संग्रह है,से एक ग़ज़ल आपके लिये .

ग़ज़ल
अपने जज़्बात को उसमें ही सजा रक्खा है
तुझको देना है जो ख़त, कब से लिखा रक्खा है

क्यूँ न देखूँ मैं तुम्हें, इतना बता दो मुझको
तुमने दिल में मेरे, तूफ़ान उठा रक्खा है

तू किसी और का होने का न वादा करना
मैंने आँखों में तेरा ख़्वाब सजा रक्खा है

क्या बिगड़ता है तुम्हारा जो तुम्हें देखूँ मैं
तुमने चेहरे को क्यूँ हाँथों में छुपा रक्खा है

तुमको एहसास नहीं है अभी मेरे दिल का
कितने सालों से मुझे तुमने जगा रक्खा है

एक लम्हा है वो जिसमें कि मिले थे हम तुम
मैंने आँखों में उसे अब भी बसा रक्खा है

क्या ग़लत है जो कोई तोड़ दे दुनिया के नियम
तुमको कुदरत ने भी फ़ुर्सत में बना रक्खा है
- -नित्यानंद `तुषार` + 91 9927800787

Monday, October 1, 2012

उसने प्रेम को जिया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज प्रेम कविता का एक और रंग, आपके लिये

उसका कहना है कि
किसी से लोग किसी स्वार्थ,purpose ,profit के लिये मिलते हैं
वो ऐसा इसलिए कहती है कि
उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
यदि उसने सच में प्रेम किया होता ,और दिल से किया होता
तो वो ऐसा नहीं कहती
वो ऐसा नहीं सोचती

वो हमेशा दिमाग़ से चलती है
वो आज से 23 वर्ष पूर्व ये कहती थी
`My heart cannot dominate my brain`
और वो आज भी यही कहती है
उन्हीं का दिल दिमाग़ को डोमिनेट नहीं कर पाता
जो प्यार करने में असमर्थ होते हैं
वो आज भी उस बंजर दिमाग़ से ही संचालित है
जहाँ प्रेम का अंकुर नहीं फूटता
वह कोमल एहसास जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं है ,
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
`I also love you`
कहने से ही नहीं हो जाता प्रेम
प्रेम के लिये चाहिए
एहसास भरा दिल
दिमाग़ को dominate करने वाला दिल
एक अटूट विश्वास
गहरा समर्पण
दूसरे की भावनाएं समझने और उनकी केयर करने की असाधारण क्षमता
किसी के लिये कुछ कर गुजरने का जज़्बा ,
जो कि उसके पास है ही नहीं
इसीलिए उसने प्रेम किया ही नहीं है
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है
जब भी फ़ोन पर वार्ता के दौरान मिलने का प्रस्ताव दिया
उसने नये- नये बहाने बना दिये
एक दिन बहुत ज़ोर डालने पर
उसने बस इतना ही कहा कि मेरी कुछ शंकाएं हैं
वो जानती ही नहीं कि प्रेम में शंकाओं की कोई जगह होती ही नहीं ,
जो दिल से प्रेम करते हैं
वो किसी को धोखा देने की बात सोच भी नहीं सकते
पर वो ये जानती ही नहीं क्यूंकि उसने प्रेम किया ही नहीं
उसने प्रेम को जिया ही नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

प्यार के पेड़ को हरा रखना - -नित्यानंद `तुषार`

वक़्त के साथ मत बदल जाना
प्यार के पेड़ को हरा रखना - -नित्यानंद `तुषार`

In Roman

Vaqt Ke Saath Mat Badal Jana
Pyaar Ke Ped Ko Hara रखना - -Er. NITYANAND `TUSHAR`
+91 9927800787

तुम से मिलकर बदल गई दुनिया - - नित्यानंद `तुषार`

तुममें क्या है, बता नहीं सकते
तुम से मिलकर बदल गई दुनिया - - नित्यानंद `तुषार`

IN ROMAN

Tummein Kya Hai, Bata Nahin Sakte
Tumse Milkar Badal Gayee Duniya - -Er. NITYANAND `TUSHAR`,+91 9927800787

तुम खूबसूरत हो- -नित्यानंद `तुषार`

आप हमारी ग़ज़लें पढ़ते आए हैं ,
आज एक गीत आपके लिये

गीत

... तुम खूबसूरत हो
मेरी ज़रुरत हो

तुम ही हँसी हो मेरी
तुम ही ख़ुशी हो मेरी

इन धडकनों में तुम हो
तुम ज़िन्दगी हो मेरी

जो ख़वाब देखा है ,
उसकी हक़ीक़त हो
तुम ख़ूबसूरत हो...........

तुम भावना हो मेरी
तुम साधना हो मेरी
तुम हो तपस्या मेरी
आराधना हो मेरी

विश्वास कर लो तुम
मेरी इबादत हो
तुम खूबसूरत हो .........

हर बात में हो तुम ही
दिन, रात में हो तुम ही
अब सोच में भी तुम हो
जज़्बात में हो तुम ही

तुम ही मेरी मंज़िल,
मेरी मुहब्बत हो
तुम खूबसूरत हो .............नित्यानंद `तुषार`
ई मेल ntushar63@gmail.com

वे लोग जो पत्थर होते हैं, वो प्रेम नहीं कर पाते- - नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये कविता का एक अलग रंग,

वे लोग जो पत्थर होते हैं,

वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो प्रेम नहीं कर पाते
बाक़ी वो सब कुछ करते हैं
बस
प्रेम नहीं करते
भावना विहीन होते हैं

वे लोग जो पत्थर होते हैं
वो अपनी मर्ज़ी से किसी को फ़ोन करते हैं
किसी से प्रेम करते हैं (झूटा)
और जब कोई भावुक होकर उनसे ,
दिल की गहराई से बहुत कोमल क्षणों में,
`i love you`, कहता है तो वे यह भी कहते हैं
`i also love you`
फिर कुछ दिन बाद वो उससे मुकरने लगते हैं
हद यहाँ तक होती है कि
वो कहते हैं कि हमने तो ऐसा कहा ही नहीं
और यदि ऐसा कहा भी तो वो गल्ती थी
वे लोग जो पत्थर होते हैं, अस्थिर होते हैं
यह अस्थिरता अवसरानुकूल होती है
वे लोग जो पत्थर होते हैं
किसी निश्छल प्रेम करने वाले के
किसी जगह मुलाक़ात के प्रस्ताव पर
ऐसा भी कहते हैं कि
`we are not in teen age ,we are in fifties,
now we are matured.`
मिलने का कोई purpose होता है ,कोई स्वार्थ, कोई प्रोफिट ......
जब ऐसा कुछ है ही नहीं तो मिलने से क्या फ़ायदा....
वे लोग, जो पत्थर होते हैं,
हर बात में ,यहाँ तक की प्रेम में भी फ़ायदा ,स्वार्थ, और profit ढूँढते हैं
ऐसे लोग ख़ुद को मैच्योर्ड कहते हैं
पर मेरी दृष्टि में आधुनिक सन्दर्भ में मैच्योर्ड का अर्थ है
दूसरे को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करना
और ख़ुद को बहुत खरा और चरित्रवान दर्शाते रहना
वे लोग, जो पत्थर होते हैं वे ये सब अत्यधिक कुशलता से कर लेते हैं
बस वे किसी से सच्चे दिल से प्रेम ही नहीं कर पाते
वे लोग, जो पत्थर होते, मैच्योर्ड होते हैं - - नित्यानंद `तुषार`

किसी को चाहने वाले बड़ी मुश्किल से मिलते हैं - - नित्यानंद `तुषार`

अगर ठुकरा दिया हमको बहुत पछताओगे इक दिन
किसी को चाहने वाले बड़ी मुश्किल से मिलते हैं - - नित्यानंद `तुषार`

जो, जिंदा हैं तो क्यूँ अकडें ,अकड़ मुर्दों में होती है - -नित्यानंद `तुषार`

कुछ अयोग्य लोग सरकारी पैसे पर हिन्दी सम्मेलनों में हिन्दी के नाम पर विदेश में मौज कर रहे हैं ,कुछ जोड़ तोड़ विहीन लोग देश में ही रह कर हिन्दी साहित्य के भण्डार में श्रीवृद्धी कर रहे हैं,

खैर ,ये शे`र पढ़िए -

अगर ये हो सके मुमकिन ,उन्हें इतना ही बतला दो
जो, जिंदा हैं तो क्यूँ अकडें ,अकड़ मुर्दों में होती है - -नित्यानंद `तुषा
र`

तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

आज फिर आपके लिये
चार - चार पंक्तियाँ

1.
मेरी सोचों में भी तुम हो ,मेरी बातों में भी तुम हो
मेरे सपनों में भी तुम हो ,मेरी आँखों में भी तुम हो
तुम्हारे साथ जीना है, तुम्हारे साथ मरना है
मेरी धड़कन में भी तुम हो ,मेरी साँसों में भी तुम हो

2

अभी बिगड़ी हुई तकदीर को मैंने सँवारा है
तुम्हारा फूल सा चेहरा, अभी दिल में उतारा है
मेरी आवाज़ सुनकर लौट आओ -लौट आओ तुम
बहुत उम्मीद से जानम,तुम्हें मैंने पुकारा है

3.
जहाँ की हर ख़ुशी आख़िर मेरे क़दमों में आई है
मुझे लगता है अब क़िस्मत भी मुझ पर मुस्कुराई है
तुझे जब पा लिया मैंने ,उजाले मिल गए मुझको
तेरी नज़दीकियों ने ही मेरी क़ीमत बढ़ाई है

4.
तेरी तस्वीर है दिल में, वो सुन्दर है, सुहानी है
तेरी ख़ुशबू है साँसों में ,तेरी ये भी निशानी है
कभी तुझसे मिला था मैं ,मगर अब दूर हूँ तुझसे
तुझे पाया ,तुझे खोया, मेरी इतनी कहानी है - -नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

इश्क़ की इंतिहा हो गई- -नित्यानंद `तुषार`

आज

आपके लिये
एक ग़ज़ल प्रस्तुत है.

ग़ज़ल

इश्क़ की इंतिहा हो गई
एक सूरत ख़ुदा हो गई

उनसे जैसे ही नज़रें मिलीं
ज़िन्दगी ख़ुशनुमा हो गई

उनको पाना करिश्मा हुआ
बददुआ भी दुआ हो गई

ये मुहब्बत भी क्या चीज़ है
धीरे-धीरे नशा हो गई

जो हुआ भूल जाओ `तुषार`
उनकी सीरत पता हो गई - -नित्यानंद `तुषार`+ 91 9927800787

कोई रिश्ता ही अब जिंदा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये हमारे नवीनतम ग़ज़ल संग्रह ``तेरे बग़ैर ` से ये ग़ज़ल
ये ग़ज़ल प्रकाशन विभाग की पत्रिका `आजकल` , (हिन्दी) में पूर्व में प्रकाशित हो चुकी है .

ग़ज़ल

तेरी आँखों ने कुछ देखा नहीं है
ज़माने में कोई अपना नहीं है

मेरी खामोशी सब कुछ कह रही है
मुझे अब और कुछ कहना नहीं है


तमन्ना ने बहुत आँसू दिये हैं
मेरी आँखों में अब सपना नहीं है

ग़लत ठहरा रहा है तू मुझे क्यूँ
मुझे तू आज तक समझा नहीं है

कोई आख़िर यहाँ आए भी कैसे
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है

ज़माने को हुआ क्या है बताओ
जो सच्चा है ,वो अब अच्छा नहीं है

न जाने किस हवा में जी रहे हैं
कोई रिश्ता ही अब जिंदा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`
+91 9927800787 (शजर -पेड़)

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार` .

आज एक और रंग आपके लिए

जिसे दूर रहकर भी मैं जी रहा था
जिसकी ख़ुशबू से मैं हर समय भीगा रहता था
जिसके लिये मैं तब जगता था जब दुनिया सो जाती थी
जिसके लिये मैं कई -कई घंटे तपती सड़क पर
तेज़ धूप में खड़ा रहता था
जिसे महसूस करने के लिये ,देखने के लिये
मैं बारिश में भीगता रहता था
होस्टल से निकलकर ठिठुरती सर्दी में

उसी सड़क पर आ जाता था,
जो सड़क उसके स्कूल और घर को जोडती थी
और ऐसा तब भी होता था
जब तबीयत भी ख़राब होती थी
फिर वो शहर छूट गया
पर उसके प्रति लगाव नहीं छूटा
वो दूर रहकर भी मेरे साथ चलती रही
ज़िन्दगी रंग बदलती रही
साल दर साल गुज़रते गए
ये पता भी न था कि वो कहाँ हैं.
कभी मिलना भी होगा या नहीं
पर फिर भी उसकी यादें धूमिल नहीं हुईं
वो मेरे साथ चलती रही
फिर अचानक दो दशक से भी अधिक समय के बाद एक दिन
उसके बारे में facebook से पता लगा
उससे बातें हुई ,सब कुछ कहा सुना गया
अब फ़ोन आता है ,फ़ोन जाता है
मेरा हाल उसे और उसका हाल मुझे पता चल जाता है
पर मिलने की बात आते ही वह टाल जाती है
मैं हैरान हूँ
उसमें उस शख्स से मिलने कि ख्वाहिश ही नहीं
जो उसे तीस वर्ष से चाहता है
जो उसे सोचता रहा है, जो उसे जीता रहा है
जो उसे गीत ग़ज़ल कविताओं में चित्रित करता रहा है
उसे ख़ुद को पत्थर कहना अच्छा लगता है
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
जिसे लाखों लोग पढ़ते हैं ,
करोड़ों लोग टी वी पर सुनते हैं, देखते हैं
उसने उस शख्स की किताब लेने से इन्कार कर दिया
क्या उसकी किताब लेने से उसकी उँगलियाँ जल जातीं
वो शख्स जो उसे शायद अपनी अंतिम साँस तक भी नहीं भूल सकेगा
उसी के लिये, उससे मिलने के लिये उसके पास पाँच मिनट का भी वक़्त नहीं
जिसने अपनी ज़िंदगी के खूबसूरत तीस वर्ष उसे दे दिये
मैं सोच रहा हूँ कि ऐसा क्यूँ होता है
कोई ऐसा और कोई वैसा क्यूँ हो जाता है
मैं क्यूँ उसे भूल नहीं पाता और वो मेरी तरह क्यूँ नहीं सोच पाती
अगर सोच पाती तो,
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो जाती - -नित्यानंद `तुषार` .

आजकल के रिश्तों में, ज़िन्दगी नहीं मिलती - - नित्यानंद `तुषार`

दोस्त हर क़दम पर हैं, दोस्ती नहीं मिलती
आजकल के रिश्तों में, ज़िन्दगी नहीं मिलती - - नित्यानंद `तुषार`

+91 9927800787

सतरंगी शाम धीरे- धीरे ढल रही है- -नित्यानंद `तुषार`

अब
जब भी मैं, उसको फ़ोन मिलाता हूँ
ख़्यालों की नदी में डूब जाता हूँ
`Hi`,उसकी आवाज़ आती है
और वो ख़ामोश हो जाती है
मैं hello कहता हूँ

वह फिर भी ख़ामोश रहती है
मैं कहता हूँ कि तुम कुछ बोल नहीं रही हो
तुम ख़ुद को खोल नहीं रही हो
`i am listening you`
और वह फिर ख़ामोश हो जाती है
उस वक़्त ऐसा लगता है कि
सतरंगी शाम धीरे- धीरे ढल रही है
और वो एक परी की तरह मेरे ज़ेहन में चल रही है
मैं फिर कहता हूँ कि तुम कुछ तो बोलो
वह कहती है
`i am listening you`
और मैं सोचता हूँ कि जो राह उसे चुननी थी
अगर उसने सही समय पर, वह राह चुनी होती
मेरे और अपने दिल की आवाज़ सुनी होती
जो ख़्वाब एक शाम को
हम दोनों ने मिलकर बुना था
जब एक दूसरे की धडकनों को सुना था
अगर उसने सच में ही
मुझे सुना होता ,
मेरे और अपने दिल की आवाज़ को सुना होता
तो आज मेरी और उसकी धडकनों के बीच,
क्या कोई फ़ासला होता - -नित्यानंद `तुषार`