Tuesday, October 2, 2012

तुमने दिल में मेरे, तूफ़ान उठा रक्खा है - -नित्यानंद `तुषार`


प्रारम्भ प्रकाशन ,गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित
हमारे नवीनतम ग़ज़ल संग्रह
`तेरे बग़ैर` जो कि हमारा छठवाँ ग़ज़ल संग्रह है,से एक ग़ज़ल आपके लिये .

ग़ज़ल
अपने जज़्बात को उसमें ही सजा रक्खा है
तुझको देना है जो ख़त, कब से लिखा रक्खा है

क्यूँ न देखूँ मैं तुम्हें, इतना बता दो मुझको
तुमने दिल में मेरे, तूफ़ान उठा रक्खा है

तू किसी और का होने का न वादा करना
मैंने आँखों में तेरा ख़्वाब सजा रक्खा है

क्या बिगड़ता है तुम्हारा जो तुम्हें देखूँ मैं
तुमने चेहरे को क्यूँ हाँथों में छुपा रक्खा है

तुमको एहसास नहीं है अभी मेरे दिल का
कितने सालों से मुझे तुमने जगा रक्खा है

एक लम्हा है वो जिसमें कि मिले थे हम तुम
मैंने आँखों में उसे अब भी बसा रक्खा है

क्या ग़लत है जो कोई तोड़ दे दुनिया के नियम
तुमको कुदरत ने भी फ़ुर्सत में बना रक्खा है
- -नित्यानंद `तुषार` + 91 9927800787

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