आज
आपके लिये
एक ग़ज़ल प्रस्तुत है.
ग़ज़ल
इश्क़ की इंतिहा हो गई
एक सूरत ख़ुदा हो गई
उनसे जैसे ही नज़रें मिलीं
ज़िन्दगी ख़ुशनुमा हो गई
उनको पाना करिश्मा हुआ
बददुआ भी दुआ हो गई
ये मुहब्बत भी क्या चीज़ है
धीरे-धीरे नशा हो गई
जो हुआ भूल जाओ `तुषार`
उनकी सीरत पता हो गई - -नित्यानंद `तुषार`+ 91 9927800787
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