Monday, October 1, 2012

कोई रिश्ता ही अब जिंदा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`

आज आपके लिये हमारे नवीनतम ग़ज़ल संग्रह ``तेरे बग़ैर ` से ये ग़ज़ल
ये ग़ज़ल प्रकाशन विभाग की पत्रिका `आजकल` , (हिन्दी) में पूर्व में प्रकाशित हो चुकी है .

ग़ज़ल

तेरी आँखों ने कुछ देखा नहीं है
ज़माने में कोई अपना नहीं है

मेरी खामोशी सब कुछ कह रही है
मुझे अब और कुछ कहना नहीं है


तमन्ना ने बहुत आँसू दिये हैं
मेरी आँखों में अब सपना नहीं है

ग़लत ठहरा रहा है तू मुझे क्यूँ
मुझे तू आज तक समझा नहीं है

कोई आख़िर यहाँ आए भी कैसे
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है

ज़माने को हुआ क्या है बताओ
जो सच्चा है ,वो अब अच्छा नहीं है

न जाने किस हवा में जी रहे हैं
कोई रिश्ता ही अब जिंदा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`
+91 9927800787 (शजर -पेड़)

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