Thursday, March 14, 2013

मुहब्बत पाक़ रिश्ता है,खुदा इसको बनाता है - -नित्यानंद `तुषार`

अचानक हमें अपने एक काफ़ी पुराने गीत (लगभग 20-25 वर्ष पूर्व) की कुछ पंक्तियाँ याद आ गईं हैं.

दिलों के बीच की दूरी इशारों से मिटाता है
मुहब्बत पाक़ रिश्ता है,खुदा इसको बनाता है
न जाने क्यूँ ज़माना बीच में दीवार बनता है
मगर जो प्यार करते हैं, दीवारें पार करते हैं
इसी को प्यार कहते हैं,इसी को प्यार कहते हैं- -नित्यानंद `तुषार`

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