कैसे-कैसे खुद को आज संभाल रहे हैं हम
आँखों से सब सपने आज निकाल रहे हैं हम
जितनी साँसें बाक़ी हैं ,पूरी हो जायेंगी
मर-मर के जीने की आदत डाल रहे हैं हम - -नित्यानंद `तुषार`
आँखों से सब सपने आज निकाल रहे हैं हम
जितनी साँसें बाक़ी हैं ,पूरी हो जायेंगी
मर-मर के जीने की आदत डाल रहे हैं हम - -नित्यानंद `तुषार`
No comments:
Post a Comment