Thursday, September 5, 2013

न जाने किस हवा में जी रहे हैं, कोई रिश्ता ही अब ज़िन्दा नहीं है - -नित्यानंद `तुषार` (इस संग्रह में प्रकाशित, तेरे बग़ैर- ग़ज़ल संग्रह -नित्यानंद `तुषार` प्रकाशक- प्रारंभ प्रकाशन ,गाज़ियाबाद)

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