आज आपके लिए एक ग़ज़ल पेश है, लेकिन उससे पहले कुछ बातें
ब्लॉग के स्टट्स को देखने से पता चला है कि ये ब्लॉग अमेरिका ,मौरीशश,इंग्लैंड के साथ- साथ हमारे देश भारत में भी देखा ,पढ़ा जा रहा है हमें ख़ुशी है कि ब्लॉग आपको पसंद आ रहा है .कुछ मित्रों के फ़ोन तथा ब्लॉग की टिप्पणियों से ये पता लगा है . आप हमें अपना कोई भी सुझाव या किसी कार्य क्रम में भाग लेने के लिए ntushar@gmail .com पर संपर्क कर सकते हैं. हम आपके लिए कवि सम्मलेन, ग़ज़ल संध्या ,हास्य कवि सम्मलेन ,मुशायरा,संगीतमयी ग़ज़ल संध्या भी आयोजित कर सकते हैं .हमारे पास इसका अनुभव भी है
कुछ मित्रों द्वारा ये बात भी संज्ञान में लाई गई है की आपकी ग़ज़लों से मिलती जुलती ग़ज़लें भी देखने में आ रहीं हैं ,उनका कहना है की ऐसा लगता है कि जैसे आपकी ग़ज़ल को सामने रखकर ही ग़ज़ल कही गई हो , उनका यह भी कहना है कि ऐसा करने वाले उन्हीं ग़ज़लों को काफ़ी जगह सुना भी रहे हैं ,उन सभी मित्रों से यही कहना है कि आप परेशान न हों ,ये निंदनीय कार्य तो एक ज़माने से लोग करते आये हैं ,लेकिन असल, असल है और नक़ल. नक़ल है अगर ऐसा न होता तो आप इस तरह की हरकतों का नोटिस कैसे ले पाते .कैसे पकड़ते .
ये कोई ज़रूरी नहीं है कि ग़ज़ल की कॉपी करने वाले या उस में से कुछ पंक्तियाँ लेने वाले को पकड़ ही लिया जाये पर कभी- कभी ऐसे लोग पकड़ में आ भी जाते हैं.साप्ताहिक हिन्दुस्तान जैसी व्यापक और प्रसिद्ध पत्रिका में छपी हमारी ग़ज़ल को,एक लेखक के द्वारा अपने नाम से छापे जाने पर जब हमारे द्वारा आपत्ति की गई तो वो गिडगिडाने लगे , अब भी जब हमारी नज़र में ऐसे मामले आते हैं या आप जैसे पाठकों द्वारा लाये जाते हैं तो सिवाय शर्मिंदगी के,उन लोगों के पास कोई चारा नहीं रहता ,कोई पैसों की पेशकश करता है तो कोई माफ़ी माँगता है ,क्या करें ये सब तो लिखने वालों के साथ होता ही रहता है .
अभी कुछ साल पहले एक मशहूर गायक द्वारा एक ग़ज़ल गाई गई थी जिसे उन्होंने अपने एल्बम में भी रखा ,.उन्होंने अपने एल्बम का नाम भी हमारी ग़ज़ल की पंक्ति में आए एक शब्द के नाम पर रखा , प्रोमो में भी टीवी पर उन्होंने ग़ज़ल की वही पंक्ति विडियो में बार बार दिखाई जो की हमारी ग़ज़ल से उठाई थी और ग़ज़ल भी वो ग़ज़ल जो की हमारे ग़ज़ल संग्रह सितम की उम्र छोटी है में 1996 में छप चुकी थी और 1996 से पूर्व हमारे द्वारा अनेक स्थानों पर पढ़ी जा चुकी थी, उस ग़ज़ल का चरबा किया गया और एक पंक्ति हू बहू हू लगा ली गई,इतना ही नहीं कुछ काफिए भी लगभग वही फिट किये गए और उनमें भाव बदलने की असफल कोशिश भी साफ़ नज़र आ रही थी .
एक उदाहरण और याद आ रहा है . भारत के एक बहुत ही प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक का पिछले दिनों आया एल्बम भी उसी ग़ज़ल का चरबा करके बनाई गई ,ग़ज़ल से सजा हुआ था. इस बार पंक्ति के आख़िरी दो शब्दों ,हो गई के स्थान पर, कर दी ,किया गया और और अपनी ग़ज़ल की पंक्ति में हमारी ग़ज़ल की पंक्ति के तीन शब्दों का क्रम बदल दिया गया, और ग़ज़ल की वही की वही पंक्ति रख दी और ऐसा करने वाले वो लोग हैं जिन्हें गायक महोदय भी शायद बड़ा शायर समझते हैं .चरबा करने वाले तो ये काम करते ही रहते हैं कहाँ तक इनकी चर्चा करें .अनेक कवियों की ग़ज़लों में हमारे शेर झलकते रहते हैं पर सिवाय मुस्कुराने के क्या किया जा सकता है ,जब वो सामने आने और ज़िक्र छिड़ने पर बुरी तरह झेंप जाते हैं ,इनमें हिंदी के एक बहुत ज़्यादा छपने वाले ग़ज़लकार को भी गिना जा सकता है .
तेज़ी से चर्चित होने के लिए यदि कोई और कवि ? इस रास्ते का अनुसरण करता दिख जाये तो आप आश्चर्य मत करना .आज जो ग़ज़ल आपके लिए दे रहे हैं वो भी उसी संग्रह `सितम की उम्र छोटी है` से ली गई है जिसे पाठकों ने बहुत पसंद किया है तथा जिसके चार संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं .यदि आपको इस ग़ज़ल की झलक भी किसी चर्चित होते हुए कवि? की रचना में मिल जाये तो चकित मत होना . हमें तो कोई कभी न कभी बता ही देगा क्यूंकि हज़ारों लोगों ने जिन्होंने हमारे संग्रह खरीद रखे हैं उनकी नज़र में ये लोग आते रहते हैं और देर सबेर वे हमें सूचित भी करते रहते हैं ,आज इतना ही .
आइये ग़ज़ल का आनंद लें .
ग़ज़ल
नदी में बाढ़ आए तो किनारे टूट जाते हैं
अधिकतर जोश में बंधन सभी के टूट जाते हैं
सितारों की चमक तुममें तो क्यूँ मगरुर होते हो
कभी वो वक़्त आता है सितारे टूट जाते हैं
हमारी आँखों में जो ख़्वाब उनकी जिंदगी कितनी
बहुत कच्चे घरोंदे तो हवा से टूट जाते हैं
अगर वो हट गए पीछे तो इसमें क्या नयापन है
बुरे हालात में अक्सर सहारे टूट जाते हैं
कभी दुनिया की बंदिश से कभी दौलत की ताक़त से
`तुषार` अक्सर मुहब्बत के इरादे टूट जाते हैं
नित्यानंद `तुषार`
फ़ोन 9968046643
1 comment:
अगर वो हट गए पीछे तो इसमें क्या नयापन है
बुरे हालात में अक्सर सहारे टूट जाते हैं..
tushaar saheb kya kahne ....
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