Thursday, November 11, 2010

    ग़ज़लों पर युवा मित्रों के फ़ोन आना इस बात को साबित करता है की कविताएँ अब लोगों  के दिलों में अपनी जगह तलाश रहीं हैं ,वहीँ एक बात ये भी  देखने में आ रही है  कि कविताएँ  अपने साथ काफ़ी दोष भी ढो रहीं हैं
        जो व्यक्ति  अपनी चार पंक्तियों की तीन तुकें भी ठीक से नहीं मिला पाता है , उसे मार्केटिंग के दम पर मोस्ट पोपुलर पोएट  बताया जा रहा है , जो कविता का क ,ख ग  ही  जानता है वो नवोदित कवि भी ग़लत तुकें मिलाने कि  ग़लती नहीं कर सकता , पर  ग़लत तुकांत लगाकर अपनी चार -चार पंक्तियाँ सुनाने  वाले को  हमारे कुछ टी वी  . चैनल कितना महिमा मंडित  कर रहे हैं, आए दिन चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं ,या ख़ुद  उनके  द्वारा ही कोई जुगाड़ बना लिया गया है जिससे कि आए दिन टी.वी पर दिखो औरकविता के बाज़ार में  बिको . 
             ख़ुद को ,ख़ुद ही स्टार पोएट ,सेलेब्रेटी, विश्व प्रसिद्ध  ,और न जाने क्या- क्या कहो,लिखो तथा अपनी मार्केटिंग टीम से लिखवाओ,कहलवाओ  .जिस कविता ? में ,तुकांत भी सही  नहीं हैं , उसी कविता? को मार्केटिंग टीम  के द्वारा ग्रेट पोएम  कहकर आँखों में धूल झोंकी जा रही है . उसी कवि? को मोस्ट पोपुलर बताया जा रहा है .और चैनल में किसी के दिमाग़  में ये नहीं आ रहा है कि किसी अयोग्य   व्यक्ति को अच्छे विशेषणों  के साथ प्रस्तुत करने पर चैनल के विषय में लोग क्या सोचेंगे.कुछ चैनल  एंकर उन्हें ऐसे संबोधनों से संबोधित  करते हैं कि हँसी आती है, और बरबस मुँह से यही निकलता है कि ये मुँह और मसूर की दाल , इससे . चैनल की  विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है ,दुनिया के १२० से अधिक  देशों में हिंदी पढ़ाई जा रही है वहां  के हिंदी के विद्यार्थी  ऐसे तुक्कड़ों को देख कर , सुन  कर देश के कवियों की क्या छवि अपने मन में  बनायेंगे इसका अनुमान सहज ही  लगाया जा सकता है, जिस देश के कवियों को  रविन्द्र नाथ टैगोर  ,सूरदास ,तुलसी दास आदि के नाम से जाना जाता है अब मार्केटिंग के दम से क्या  ऐसे - ऐसे ही तुक्कड़ों से जाना जायेगा ? कॉलेज के बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं, क्यूंकि अभी वो परिपक्व हो रहे है.
     कुछ बेकार लोग एक जगह मिले  योजना बनाई और फ़र्ज़ी बातें कर कर के एक तुक्कड़ को प्रचारित करना प्रारंभ कर दिया. तुक्कड़ ने भी अपने बारे में ऐसी ऐसी बातें कीं , जिनका सच्चाई से कोई वास्ता ही नहीं है पर कौन जाँच   करने जा रहा है ,कुछ भी बोलो और उल्लू सीधा करो  . नए बच्चे जिन चीज़ों को  कविता के नाम पर सुन रहे हैं वो अधिकांशतः अश्लील, अमर्यादित, स्तरहीन  और शर्मनाक  टिप्पणियाँ हैं,जब आप कविता सुनाने  के लिए आए हैं,ख़ुद को कवि कहते भी हैं , और अगर आपके पास कविता  है तो सुनाइए, इधर उधर की बातें क्यूँ करते हैं?
    कवियों के नाम पर ऐसे लोग क्या  हैं ,जिन्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने  स्वार्थ  के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है ,ऐसे  लोगों  के  लिए कोई नाम आप लोग स्वयं तय करें . दो -तीन घंटे के शो में कविता के  नाम  पर अपरिपक्व, फूहड़ किस्म की अधकचरी दस बारह लाइन  दी जा रहीं हैं और पिलाया जा रहा है  बच्चों को वो ज़हर जो उन्हें भटकाने के अलावा और किसी काम का नहीं है ,जो बच्चों को आगे चलकर तबाह भी कर सकता है , और इसके बदले में उन मासूमों से लाखों रुपये की वसूली भी  की जा रही है .उन लाखों रुपये से फिर दुष्प्रचार करके आगे नए शिकार फंसाए जा रहे हैं ,मीडिया और...पीडिया व्यर्थ में मोहित और सम्मोहित हो रहे हैं और दर्शकों के  ऊपर  तुक्कड़ों को थोप रहे हैं.इस तरह मीडिया और ....पीडिया दोनों पर प्रश्न चिन्ह लगना  स्वाभाविक है .
      दो चार किराए के लड़के, आकर्षक बाज़ारी  भाषा का प्रयोग  कर बच्चों को बहकाने के काम में लगे हुए हैं ,यहीं से  बच्चे धोखे और झाँसे में आने शुरू हो जाते हैं.,ऐसा प्रतीत होता है की पूरी  टीम लगी  है जो इस तरह का प्रोपेगेंडा करती है कि  लोगों को भ्रम हो कि  कितना महान कवि है,  और नादान बच्चे इन्हीं चालाकियों के शिकार हो रहे हैं , ऐसे लोग पहले कुछ लिख कर कहीं लगवा देंगे, फिर उसको अलग- अलग जगह पर नेट के माध्यम से फैलाने में जुट जायेंगे , ये कितना बड़ा धोखा है, फ़र्ज़ी बातों  का हवाला दे देकर लोगों को मूर्ख  बनाने में पूरी टीम लगी प्रतीत होती  है .
 मैं  ख़ुद  एक इंजिनियर  हूँ और मुझे इंजीनियरिंग के छात्रों का इस तरह छला जाना दुखी करता है, इसी दुःख की अभिव्यक्ति मैंने पिछले दिनों फेस  बुक  पर कविताओं के माध्यम से ही की है. आप  उन्हें मेरी वाल पर ओल्डर पोस्ट्स में,  पढ़ सकते हैं.
 लीजिये इस ग़ज़ल का आनंद  लीजिये.

                                                       ग़ज़ल


                               आपको  चाहते   हैं   ख़ुशी की    तरह
                               आप  दिल में बसें  रौशनी  की तरह

                               आप अच्छी    तरह   जानते हैं   हमें
                               देखते हैं मगर  अजनबी  की   तरह

                              किस  तरह से जियेंगे   बिना आपके
                              आप क्यूँ  हो गए ज़िन्दगी की तरह

                              आपको जो लिखा था कभी ख़त वही
                              खो गया है कहीं  आदमी की  तरह

                              दूर तक था अँधेरा अभी तक `तुषार`
                              वो यहाँ आ गए     चाँदनी की तरह

                                                     नित्यानंद  ` तुषार``
                                                   फ़ोन  9968046643

4 comments:

Anonymous said...

"किस तरह से जियेंगे बिना आपके
आप क्यूँ हो गए ज़िन्दगी की तरह

आपको जो लिखा था कभी ख़त वही
खो गया है कहीं आदमी की तरह"

गहरे भाव - बहुत खूब

k said...

bahut khoob bahut accha really ek er. ki kamal se nikli hui ek technical gajal
read me in amanagarwalmarwari.blogspot.com

Unknown said...

शुक्रिया।

Patali-The-Village said...

गहरे भाव .. बहुत खूब|