Tuesday, February 8, 2011

.वे निरंतर धोखा करते रहते हैं और मासूम बच्चों के आदर्श बनते रहते हैं - नित्यानंद `तुषार`

facebook पर मेरे नोट मौलिकता क़ा मोल नहीं है चोर यहाँ सम्मानित हैं ,   पर अभी सवाल -जवाब क़ा सिलसिला चल रहा है उनके एक प्रशंशक , एक और नवयुवक द्वारा जो प्रश्न किये गए और उनको जो उत्तर दए गए आपके समक्ष प्रस्तुत हैं .
 Vinit Yadav
प्रिय दोस्तों,
मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि आज कि तारीख में क्या कोइ ऐसा कवि है जो इस रचना को इतनी अच्छी प्रस्तुति दे सकता है?
आज मीडिया और टेक्नोलोगी अडवांस हो गयी है. जो नही बदलेंगें समय के साथ मिट जायेंगे.
आप सभी के सामने मैदान खुला है ..आप... में दम है तो अपनी कविता को खुद सुनाने कि हिम्मत करिए. आप सर आँखों पे होंगे. आखिर में...
" शौके-दीदार है अगर ,
तो नजर पैदा कर."



  • Nityanand Tushar

    विनीत जी ,पहले तो सोचा था कि आपको कुछ न कहें पर बाद में लगा कि आपसे कुछ कहा जाये
    क्या किसी की अच्छी प्रस्तुति क़ा तर्क देकर उसके द्वारा की गई साहित्यिक चोरी को जायज़ ठहराया जा सकता है ,यदि आपका जवाब हाँ है, तो फिर कुछ भी कहने क़ा फ़ायदा ...नहीं है.
    ,हम जानते हैं कि जिसे आप पसंद करते हैं उसके बारे में अगर कुछ ऐसा सुनने को मिलता है जिसकी आपने कल्पना नहीं की होती है तो अपार दुःख होता है ,आप लोगों कि मनोदशा हम समझ सकते हैं .



    रही बात कविता सुनाने के दम की तो ,यदि आप खुले मन से सुनेंगे तो आपको प्रत्येक अच्छे कवि की कविता अच्छी लगेगी, यदि आप मुझे सुनना चाहते हैं और मेरा कविता सुनाने क़ा दम देखना चाहते हैं तो मैं आपकी ये चुनौती स्वीकार करता हूँ,(आप कोई कार्यक्रम निर्धारित करें, हमें सुनें और ईमानदारी से अपने दिल से पूछ कर किसी निर्णय पर पहुंचें ) ,क्योंकि कविताएँ तो हम सुनाते ही रहते हैं,और ईशवर की कृपा और आप जैसे श्रोताओं क़ा हमें भरपूर प्यार मिलता रहता है.,आपने कहा है कि आप सर, आखों पर होंगे ,उससे ऐसा प्रतीत होता है कि आप वाकई में अच्छी कविता पसंद कर सकते हैं ,रेगिस्तान में जहाँ ज़ोर की प्यास लगी हो वहाँ अशुद्ध जल भी अच्छा लगता है मगर साफ़ नदी क़ा अगर मीठा जल मिल जाये तो उसकी बात ही कुछ और होती है ,अशुद्ध जल के सप्लायर अपने जल को कुछ और अच्छा और मीठा करने के लिये दूसरों के अच्छे और मीठे जल को चुराते रहते हैं, और प्यासों के साथ बहुत शातिर ढंग से छल करते रहते हैं.वे निरंतर धोखा करते रहते हैं और मासूम बच्चों के आदर्श बनते रहते हैं , वे चार लाइन के कविता को पूरा करने में काफ़ी समय लेते हैं ,क्यूंकि अच्छी और प्रभाव छोड़ने वाली पंक्तियों क़ा उनके पास अभाव होता है ,और यही अभाव उन्हें चोरी की तरफ़ ले जाता है ,कविता सुनाने के बीच -बीच में अनर्गल बातें इसी लिये की जातीं हैं कि आख़िर अच्छी कविताएँ वो बेचारे लायें कहाँ से ,क्योंकि ये उनकी सामर्थ्य में है ही नहीं ,और ये कमजोरी उन्हें दूसरों की पंक्तियाँ लिफ्ट करने , टिप्पणियाँ लिफ्ट करने पर और चोरी पकड़ी जाने पर शर्मिंदगी के लिये मजबूर करती है ,

    आपने मिटने की बात की है अपना ये शे`र कह कर आपकी उस बात क़ा उत्तर देता हूँ और अपनी बात समाप्त करता हूँ .

    अभी हम हैं , हमारे बाद भी होगी हमारी बात
    कभी मुमकिन नहीं होता किसी को भी मिटा देना - नित्यानंद `तुषार`





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