Thursday, February 3, 2011

कुँए से बाहर निकलिये, दुनिया देखिये -नित्यानंद `तुषार`


दोस्तो फब पर मेरे नोट पर एक नवयुवक ने मुझसे कुछ प्रशन किये हैं सेलेब्रिटी पोएट ?के बारे में ,उनको जो उत्तर दिया है उसे आपके समक्ष ,आपकी अदालत में भी रख रहा हूँ
@अंकित जी, आपकी पूरी बात हमने समझ ली है अब ,आप हमारी बात सुनिए ,यदि आप उनकी मार्केटिंग टीम क़ा हिस्सा हैं तो हमें आपसे कुछ नहीं कहना है और यदि वास्तव में आपकी कोई जिज्ञासा है तो उसके लिये हम सदैव तत्पर हैं.
वैसे तो कोई किसी क़ा विकल्प नहीं होता ,पर थोड़ी देर के लिये आपकी बात मान भी ली जाये तो तो सुनिए इंजिनियर क़ा विकल्प इंजिनियर ही होगा कोई डॉक्टर नहीं ,और डॉक्टर क़ा विकल्प डॉक्टर ही होगा कोई इंजिनियर नहीं. कोई मौलिक कवि ही किसी मौलिक कवि क़ा  विकल्प हो सकता है ,किसी मजमेबाज क़ा नहीं ,किसी चोर कवि क़ा नहीं, दूसरों की कविताओं से पंक्तियाँ या कविता उठाने  वाले क़ा विकल्प नहीं ,या दूसरों की टिप्पणियाँ सुनाने  वाले क़ा विकल्प नहीं ,और मेरे पास इन सब  बातों  के साक्ष्य हैं जो मैंने लिखीं हैं ,देश के एक बड़े कवि के अनुसार उनसे बड़ा चोर और नीच कोई और नहीं है ,ये लिखित रूप में मुझे sms से भेजा गया है ,आज ही देश की एक बड़ी कवियत्री ने मुझे फ़ोन पर बताया है की उनकी गंगा और तिरगा कविता भी उनके द्वारा  मार दी गई है , राजस्थन के एक  enginering के छात्र ने बताया है कि उसकी एक कविता जो कि ब्लॉग पर है उसे भी उन्होंनेबिना उस क़ा नाम लिये  सुनाया है, देश के  एक    बड़े शायर क़ी टिपण्णी भी उन्होंने उडाकर इंजीनियरिंग के छात्रों  को सुनाई है, ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं और उनके सबूत भी हैं.असल  में उन्हें ऐसा करने क़ी लत पड़ चुकी है

आपने कहा है कि हम कवि सम्मेलन में कविता क़ा रस लेने जाते हैं ज़रूर जाइये और रस भी लीजिये ,आपसे किसने कहा है कि आप ग्रामर और ग़ज़ल के नियम में उलझें ,आप श्रोता   हैं और ये काम  आपका है भी नहीं, पर जो आदमी अपनी जिस कविता को ग्रेट कहता और कहलवाता है तो क्या इस देश क़ा कोई कवि उस कवि से शुद्ध कविता कि अपेक्षा भी न रखे? , जब उस कवि को कविता या ग़ज़ल  क़ी बारीकियां नहीं पता हैं तो वह देश क़ी जनता को धोखे में क्यूँ रखना चाहता है ,वह किस मुँह से जाकर  टीवी चैनल  पर जाकर बैठता है?और किस अधिकार से राय देता है .यदि आप सर्वश्रेष्ठ    होने क़ा दावा करेंगे तो आपको सर्वश्रेष्ठ   होना भी पड़ेगा और उसमें कविता,ग़ज़ल क़ी बारीकियों  क़ा ज्ञान भी सम्मिलित है.
रही बात आपके रस क़ी ,कि  आप रस लेने जाते हैं .दोस्त अभी आप खराब तेल क़ी जलेबी खा रहे हैं जिस दिन शुद्ध घी क़ी जलेबी खाओगे उस दिन  तेल क़ी जलेबी क़ी तरफ देखोगे भी नहीं ,जिन अमर्यादित टिप्पणियों में आप रस अनुभव कर रहे हैं उससे ज्यादा रस तो और अन्य माध्यमों में मिल सकता है अगर पतन क़ी राह ही चुन  ली है तो .
       आपने कहा है क़ी उसमें कुछ तो खास होगा जिसकी पूरी युवा पीढी दीवानी है ,आइये आपको दीवानगी के लेवल से परिचित करा  देता हूँ देश  क़ी आबादी यदि १२५ करोड़ मान ले औरमान लें जैसा कि बताया जा रहा है  साठ प्रतिशत युवा हैं तो ये संख्या ७५ करोड़ बैठती है ,आप दिमाग़ पर जोर डालकर सोचिये क़ी क्या देश में उनके ७५ करोड़ दीवाने हैं?में समझता हूँ कि इसके  पचास हजारवें भाग  के बराबर लोग भी उनका नाम नहीं जानते,दीवाना होना तो बहुत दूर की बात है . इन्टरनेट  वालों को ही युवापीधी मानकर आप युवा पीढ़े को आंकने में ग़लती कर रहे हैं हमारी या हमारे जैसे अन्य कवि की  ग़ज़ल या अन्य कविता  दैनिक  जागरण ,या अमर उजाला जैसे अखबार में छपती है तो ४०-५० लाख के circulation के अखबार कोअगर १० लोग भी पढ़ते हैं तो वो एक बार में ही ४-५ करोड़ लोगों तक पहुँचती है,हमारी ग़ज़लें पिछले ३० सालों मैं ४०० -५०० बार से ज्यादा छप चुकी हैं अब ज़रा डाउनलोड से कम्प्यर  कीजिये जब एक बार में ही ४-५ करोड़ हो गए तो ज़रा हिसाब लगाइए कि प्रिंट के कितने डाउनलोड (पढना)हो गए , कुँए से बाहर  निकलिये, दुनिया देखिये , मैंने पहले ही कहा कि अगर जिज्ञासा    है तो हर सवाल क़ा जवाब दंगे और अगर उनकी टीम    के आप भी मेम्बर हैं  जो कि मासूमो के    भविष्य से खेल रही है और  उन्हें पतन क़ी और ले जा  रही है तो बात और है
एक   बात और ,इस बातका बी हल्ला मचा  रखा है कि 4   lakh download हो गया ,40 lakh   download    हो  गया ,अब ज़रा ये भी समझ लीजिये ,उनकी टीम  ने iit iim और अन्य  कालेज तक पहुँच बनाई  और उन मासूमों के सामने एक सामान्य कवि? जिसका   कि अभी सीखने समझने क़ा समय है  ,को एक बड़े कवि के रूप में प्रचारित किया ,यहीं से बच्चे  धोखे में आने शुरू हुए उसके बाद उन बच्चों  के junior  आये और वो  उस कचरे को कविता समझने लगे जो  कि  वस्तुत कविता है ही नहीं, बात लम्बी हो रही है समाप्त करने क़ी कोशिश करता हूँ, इंजीनियरिंग ,मेडिकल,मैनेजमेंट के और iits के कुल छात्र संख्या  लगभग १० लाख होगी इनमें से यदि दस प्रतिशत यानि 1 लाख ने  ने 2 या चार बार सुन लिया तो  हो गए चार या ५ लाख डाउन लोड
इन्होए iit,आईआईएम, और अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को इधर,उधर,से उड़ाया हुआ माल सप्लाई कर मूर्ख बनाया है जिस दिन  वे मासूम सच जान जायेंगे और सच्चे कवियों से परिचित हो जायेंगे  ऐसे लोगों को वे वहाँ घुसने भी नहीं देंगे..आपकी कोई और जिज्ञासा हो तो आप पूछ सकते हैं
अंकित जी, ईश्वर भी देख रहा है कि किस प्रकार बच्चों  को ग़लत बातें बताकर उन्हें पथभ्रष्ट किया जा रहा है, झूठ क़ा साथ देना ,अपराधी क़ा साथ देना कानूनी और  नैतिक दोनों तरह से ग़लत है.और  जिस चीज़ को आप मामूली समझ रहेहैं (दूसरों कि रची चीज़ों को ,उठाना, ,दूसरों  की कविताओं से पंक्तियाँ उठाना )कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है जिसमें जुरमाना और सजा दोनों हो सकती हैं .
,आप शायद नहीं जानते होंगे,वो मेरे भी प्रिय हैं ,ह्रदय  के बहुत निकट है  वो मेरा आदर करते हैं और में भी, आज भी उनसे ,उनके परिवार से  उतना ही स्नेह करता हूँ, जितना पहले करता था ,, पर वैचारिक    मतभेद अपनी जगह हैं, और और ये सब जो हो रहा है उसका मुझे दुःख भी है पर क्या करूँ उन्होंने   हालात ही ऐसे पैदा कर दिये हैं कि अब मजबूरी में मुँह खोलना ही पड़ा है भी तक भी मैंने अपनी जबां से  या कलम से उनका नाम नहीं लिया है उनके बारे में  जो कुछ भी लिखा है मजबूरी में लिखा है और लिखने में बहुत तकलीफ हुई है  है  , क्योंकि आप जिसे प्रेम करते है उसे खूबसूरत और परफेक्ट ही देखना चाहते हैं

ज़रा सोचो दिलों में फासले कैसे पनपते हैं

जुदा होते हैं आख़िर क्यों जिन्हें धड़कन सुनाते हैं  -नित्यानंद `तुषार`

No comments: