Monday, January 31, 2011

इन जैसों को वो वहाँ कभी घुसने भी नहीं देते.

face book पर मेरी टिप्पणी के ऊपर एक नवयुवक ने कुछ जिज्ञ्यासा के साथ अपने विचार लिखे  उनको जो उत्तर लिखा वो आपके लिये भी प्रस्तुत है उसका कारण है कि आप भी सच से वाकिफ हो सकें
राहुल सागर  जी, आपने लिखा है की 24 घंटे गुलामी की भाषा में जीते हैं ये उचित नहीं है ,में भी एक इंजिनियर हूँ और इस नाते जानता हूँ कि इंजीनियरिंग की सारी किताबें इंग्लिश में ही हैं ,इंग्लिश की किताबें पढना उनकी विवशता है ,कारण , हिंदी में किताबें है ही नहीं ,अगर वे इंग्लिश  की किताबें न पढ़ें तो देश में  न मेट्रो चले ,न कोई पुल बने और जाने क्या -क्या न हो
 वे भी हिंदी से उतना ही प्रेम करते हैं जितना कि आप और में, और इसी हिंदी प्रेम के कारण वो उनकी बकवास सुनते हैं ,सुनने क़ा कारण ये है की उन्हें हिंदी के वास्तविक कवियों क़ा पता ही नहीं है ,इनका पता इसलिए लगा है की इन्होने अपनी मार्केटिंग  टीम द्वारा अपना नाम वहाँ तक पहुंचवाया है .इन्होने हिंदी पर कोई उपकार नहीं किया  बल्कि हिदी क़ा चेहरा शर्म से नीचे झुका दिया है.अपनी अश्लील, अमर्यादित और शर्मनाक टिप्पणियों से हिदी ,हिंदी कविता ,और हिंदी कवियों की बेज्ज़ती कराई है ,इन्होने भावी engineers के मष्तिष्क को विकृत दिशा में मोड़ने में कोई    कसर नहीं छोड़ी है और ये सब इन्होने सिर्फ़ अपनी स्वार्थ सिद्धी के लिये किया है , वाहियात और निंदनीय बातें करके देश की शीर्ष संस्थाओं से लाखों रुपयों की वसूली की है ,अगर iitans ,और दूसरी संस्थाएं अच्छे कवियों से वाकिफ़ होते  तो इन जैसों को वो वहाँ कभी घुसने भी नहीं देते.
आप इनकी मार्केटिंग टीम द्वारा प्रचारित बातों के कारण भ्रम में हैं ,पर आप कम आयु होने के बावजूद इन बातों पर सोच रहे हैं इसलिए ये सुखद है, जैसे-जैसे आप परिपक्व होंगे आप सब चालाकियां समझ जायेंगे.