Thursday, January 27, 2011

बहुत बदनाम है वो शख्स , उसका नाम हम क्यूँ लें - नित्यानंद `तुषार`

           अभी किसी ने बताया है , एक आइटम सोंग ......जवानी .....सोलह लाख बार डाउन लोड किया गया है. क्या आप इसे साहित्य मान लेंगे ? यदि कोई चार पंक्ति की कविता ? की तीन तुकें भी ठीक से नहीं मिला पlता हो,और उसी अशुद्ध कविता को वो बहुत मगरुर होकर प्रस्तुत करे , और उसके बारे में ये दावा किया जाये की ये चार पाँच लाख बार डाउन लोड की गई है, तो क्या उसे साहित्य माना जा सकता है ?
यही बात कालेज में पढने वालों  और उन्हें बहकाने वालों  की समझ में नहीं आ पा रही है, इसी प्रचार से भ्रमित होकर यदि कुछ टी वी चैनल वाले किसी को कवि समझने की ग़लत फहमी पाल लें और ऐसा करने वाले को अपने चैनल पर महान कवि के रूप में प्रचारित करें तो इसे क्या कहा जाये ?शेर ओ शायरी ऑरकुट कि कम्युनिटी  पर किसी ने प्रश्न किया कि ऐसा करने वाले क़ा नाम लीजिये ,उसके उत्तर में ये  शे`र लिखा गया आप भी आनंद उठाएं .
 
बहुत बदनाम है वो शख्स , उसका नाम हम क्यूँ लें
नज़र जब बात  करती हो , ज़बां से काम हम क्यूँ लें     -  नित्यानंद `तुषार

3 comments:

Deepak Saini said...

wah wah

Dinesh Mishra said...

बहुत...बहुत ही सुंदर..!!

Do not said...

mujhe lagata hai ki aapko jalan ho rahi hai aur mera ye manana hai ki agar aap kavi hai to aapke liye aur hamare liye bade sharm ki bat hai ki ham aap jaise logo ke vichar aur aap logo ke kathan sun rahe hai hame ye nahi malum ho rha hai ki aap kiski tarif aur kiski burayi kar rahe hai. ham apna adarsh kise mane jo khud dusaro ki burayi kar rha ho