Saturday, December 18, 2010

कैसा जुनून है ये , कैसी दीवानगी है नित्यानंद `तुषार`

 कई  दिन  से आपसे बात नहीं हो पाई .कुछ कार्यक्रम ही ऐसे थे कि वक़्त कैसे उड़ गया  कुछ   पता ही नहीं चला ,थकान भी है आज हम ज्यादा बात नहीं करेंगे  . आराम भी करना है पर  आपके लिए अपने एक गीत की ये पंक्तियाँ दे रहे हैं. शायद आपको अच्छी लगें , आप इन पंक्तियों का आनंद लें

 कैसा     जुनून    है ये ,  कैसी       दीवानगी है
ख़ुद को   भुला   के    मैंने,   तेरी  तलाश की है
तेरा   ही   ज़िक्र   है अब,  तेरी   ही बात है अब 
तुझसे ही दिन शुरू है ,तुझसे  ही रात है अब 
हर    साँस    अपनी    मैंने ,  तेरे ही नाम की है 
कैसा     जुनून     है  ये,     कैसी       दीवानगी है ......- नित्यानंद `तुषार` 

2 comments:

श्रवण कुमार उर्मलिया said...

Tusharji,

Aapke sabdon me nai tazgi nazar aati hai.Achchhe prayog kar rahe hain aap.Meri shubhkamnayen.Maine ek hindi gazal apne blog http://vyangyakarskurmalia.blogspot.com par post ki hai.Kripaya apni pratikriya den.

Regards,
Shrawan Kumar Urmalia

Yogi said...

kya baat hai tushar ji, bahut badhia...
Too good...

kuchh lines aur likhi hoti to aur bhi achha rehta..