Thursday, December 6, 2012

उठो जवानो जागो तुम , आज वतन खतरे में है - नित्यानंद `तुषार`

अपने किराये के आदमियों से खुद को सेलेब्रिटी कहलवाने वाले कवि? जिसे तुकांत मिलाने की भी समझ नहीं है ,और जो अन्ना आन्दोलन में झंडा उठाकर अन्ना के साथ चिपका रहा,उसने हमारी ग़ज़ल की पंक्ति
मेरा अपना तजुर्बा है ....को अपनी रचना बताते हुए iit kharagpur के spring fest में आयोजित ,कवि सम्मेलन में गाया,हमारी एक और ग़ज़ल,दिल समझे या ना समझे समझाना पड़ता है को इस रूप में ``खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है`` ,के र...
ूप में गाया और हमारी ग़ज़ल के सेंट्रल आईडिया को M N I T पटना में कविता सुनाने से पूर्व भूमिका में बोला उस साहित्यिक चोर को देश के कुछ अखबार अपने कवि सम्मलेन नामक कार्यक्रमों में निमंत्रित कर रहे हैं.

जिन अखबार वालों को दुनिया की हर खबर पता हैं उनको इस साहित्यिक चोर की साहित्यिक चोरी क्यूँ नहीं पता है? ,और यदि पता है तो इस बात को वे अखबार अपने पाठकों से क्यूँ छिपाए हुए हैं? ,क्या इन अख़बारों के पास इस सवाल का कोई जवाब है ?

...और हैरत की बात ये है कि कई राजनेताओं को भ्रष्टचारी बताने वाले अरविन्द केजरीवाल ने इस साहित्यिक चोर को अपने साथ लगा रखा है ,आखिर क्यूँ ,क्या साहित्यिक भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार ,नहीं है जिससे लाखों रूपये की उगाही इस साहित्यिक चोर द्वारा की जा रही है,अरविन्द केजरीवाल को इस साहित्यिक चोर का भ्रष्टाचार क्यूँ नहीं दिखता ? .

हमें अपने एक गीत की कुछ पंक्तियाँ अचानक याद आ गईं हैं जिन्हें हम आपके लिये प्रस्तुत कर रहे हैं

आज धरा खतरे में है ,आज गगन खतरे में है
उठो जवानो जागो तुम, आज वतन खतरे में है

मौलिकता क़ा मोल नहीं है , चोर यहाँ सम्मानित हैं
बुद्धि ,पतिभा ,मेधा , कौशल ये सब तो अपमानित हैं

कवि , लेखक अब हतप्रभ हैं ,आज सृजन खतरे में है
उठो जवानो जागो तुम ,आज वतन खतरे में है

काश्मीर में आग लगी है , गौहाटी थर्राई है
मुंबई में विस्फोट हुए हैं ,दिल्ली भी घबराई है

देवदार ,सागौन जले ,आज पवन खतरे में है
उठो जवानो जागो तुम , आज वतन खतरे में है - नित्यानंद `तुषार`

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