Monday, October 31, 2011

जो दौर था बुरा, वो भी गुज़र गया - -.नित्यानंद तुषार `


प्रतिष्ठित हिन्दी पत्रिका `हँस` के नवम्बर 2011 अंक में
आप हमारी ये ग़ज़ल पूरी पढ़ सकते हैं,
यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी जा रहीं हैं

जो दौर था बुरा, वो भी गुज़र गया
कुछ हादसे हुए , फिर मैं उबर गया

जो सच था वो कहा, तुम क्यूँ खफ़ा हुए
चेहरा बुझा है क्यूँ, पानी उतर गया

इक आदमी हुआ, इस मुल्क़ में `तुषार`
पहुँचा जहाँ न वो, उसका असर गया - - नित्यानंद तुषार `

1 comment:

Yashwant R. B. Mathur said...

आज 18/06/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!