iit spring fest 2011 में,तथा कुछ और जगह हमारी रचना मेरा अपना तजुर्बा है को अपनी नई रचना बताते हुए कुमार विश्वास (डाक्टर कुमार विश्वास )ने श्रोताओं को सुनाया है,इसके अलावा जो रचना nit पटना में सुनाई गई है वह भी हमारी रचना `दिल समझे या न समझे समझाना पड़ता है` में से निकाली गई है ,ये और भी दूसरे कवियों क़ी टिप्पणियाँ , और कविताएँ आदि पढ़ते रहे हैं ,इस प्रकार एक लम्बे समय से ये साहित्यिक चोरी में लिप्त हैं ,और अब जब इनकी पोल खुल गई है तो लोगों को धोखा देने के लिये तमाम हथकंडे अपना रहे हैं ,जिनमें दूसरे कवियों के tape आदि लगवाये जा रहे हैं , हम सोचते थे उनका नाम साफ़ -साफ़ न लिखें ,इसीलिए हमने संकेतों में बात क़ी थी पर लोगों ने साहित्यिक चोर को बेनक़ाब करने के के लिये पिछले कई महीने में कई बार आग्रह किया है,और अब ये आवश्यक हो गया है इसलिए उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये विवरण नाम सहित आप लोगों को दिया जा रहा है - - नित्यानंद `तुषार`
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